कॉलेजियम पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट की बढ़ी तकरार, रॉ, आईबी की रिपोर्ट का किया वेबसाईट पर खुलासा

राष्ट्रीय            Jan 20, 2023


 मल्हार मीडिया ब्यूरो।

केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के बीच तकरार और बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ऐसा कदम उठाया है, जो शायद ही कभी हुआ हो।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में विस्तार से खुलासा किया है कि कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को केंद्र ने क्यों ठुकरा दिया।

इस बयान में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित खुफिया एजेंसी रॉ और आईबी (IB) की रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गई है, जो अपने आप में अप्रत्याशित है।

बार और बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए एडवोकेट सौरभ कृपाल का नाम भेजा था। केंद्र सरकार ने उनके नाम को रिजेक्ट कर दिया और तर्क दिया है कि वो समलैंगिक (Gay) हैं और पक्षपाती हो सकते हैं।

उनका पार्टनर विदेशी है । कॉलेजियम ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि संविधान यौन स्वतंत्रता की गारंटी देता है। सौरभ कृपाल, की नियुक्ति से दिल्ली हाईकोर्ट में डाइवर्सिटी आएगी। विदेशी पार्टनर होना, अयोग्यता का आधार नहीं हो सकता है।

इसी तरह कॉलेजियम ने मुंबई हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सोमशेखर का नाम भेजा था। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का पक्ष है कि सुंदरेसन ने सोशल मीडिया पर पेंडिंग केसेज पर अपनी राय रखी थी। कॉलेजियम ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि किसी मसले पर किसी अभ्यर्थी की राय उसके डिसक्वालीफिकेशन का कारण नहीं बन सकती है।

कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए आर. जॉन सत्यन का नाम सुझाया। सरकार का तर्क है कि सत्यन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना से जुड़ा एक लेख शेयर किया था। साथ ही एक मेडिकल स्टूडेंट के सुसाइड से जुड़ा लेख भी साझा किया था। कॉलेजियम ने सरकार के इस तर्क का जवाब देते हुए कहा है कि किसी लेख को साझा करने से किसी अभ्यर्थी की योग्यता, गरिमा और कैरेक्टर पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।

कोलेजियम ने केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग पर भी तीखी आपत्ति जताई है। दरअसल, कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए एडवोकेट अमितेश बनर्जी और शाक्य सेन का नाम सुझाया था। जो जुलाई 2019 से ही सरकार के पास पेंडिंग है।

कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को जिस तरीके से केंद्र सरकार ने ठुकराया और कॉलेजियम ने जैसे प्रतिक्रिया दी है, उसे अप्रत्याशित बताया जा रहा है।

 एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने 4 दिनों तक विचार विमर्श और मंथन के बाद केंद्र सरकार की आपत्तियों का विस्तार से जवाब देने का फैसला लिया।

तय किया कि पूरी बात सार्वजनिक की जाए। जिसमें रॉ और आईबी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जाए और उसपर कॉलेजियम का क्या स्टैंड है, यह भी बताया जाए। CJI चंद्रचूड़ ने बयान सार्वजनिक करने से पहले इसपर कॉलेजियम के अन्य सदस्यों से गहरी मंत्रणा की।

 



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