पंकज शुक्ला।
एक फिक्र सी तारी होती है जब कोई कहता है वैसी बारिश न हो रही, जैसी हुआ करती थी बचपन में। या जब सुनते हैं कि क्या बड़ा तालाब भर पाएगा इस बार? या कि जब पता चलता है कि हमारी गाड़ियों को रफ्तार देने सड़क बनाने के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए हैं।
ऐसी ही तमाम चिंताओं के बीच पृथ्वी को बचाने के लिए कुछ हाथ उठते हैं। उम्मीद तो सबसे होती है कि वे अपने-अपने हिस्से का कर्तव्य निभाएं लेकिन अच्छे काम करने का जिम्मा कुछ ही लोग निभाते हैं।
यही लोग हैं जो पौधरोपण कर किसी तरह हरियाली का संतुलन साधने का प्रयास कर रहे हैं। इनके साथ वे लोग भी हैं जो केवल फोटो खिंचवाने की लोलुपता में पौधे रोप कर दायित्व की इतिश्री कर रहे हैं।
यदि आप भी केवल चेहरा दिखाने वाली भीड़ में शामिल हैं तो आप से कुछ कहना व्यर्थ हैं क्योंकि आपका चेहरा दिखाऊ कार्य प्रदूषण फैलाने या पेड़ काटने वाले लोगों से अधिक बड़ा गुनाह है।
पौधरोपण की रस्मअदायगी करने वाले लोगों के लिए भोपाल और इसके आसपास कुछ नजीर पेश की जा रही है।
होशंगाबाद संभाग में दो साल पहले ‘नर्मदा पवित्र सर्वदा अभियान’ आरंभ किया गया। यहां तत्कालीन संभागायुक्त उमाकांत उमराव ने नर्मदा नदी के रिपेरियन झोन को पुनर्जीवित करने की पहल की।
इस काम में समाज साथ आ गया। नर्मदा नदी के 120 किलोमीटर क्षेत्र में लुप्त हो चुकी 418 ऐसी वनस्पतियों की खोज कर इनमें से 105 प्रकार की वनस्पतियों के डेढ़ करोड़ से अधिक बीज जुटाए गए।
पौधरोपण के लिए ढाई हजार नर्मदा परिवारों का गठन कर 4 जून 2017 एवं 9 जून 2018 को आठ टन एवं 6 टन बीजों (लगभग 2 करोड़ बीजों) का रोपण किया गया। इनमें से 20 प्रतिशत से अधिक बीज अंकुरित हुए। यह अभियान यहां अब भी जारी है।
उमराव की जगह नए संभागायुक्त आ गए हैं मगर समाज अपनी जिम्मेदारी नहीं भूला और वह नर्मदा किनारे हरियाली बढ़ाने में जुटा हुआ है। उमराव भी भोपाल में बैठ कर अपने आरंभ किए गए मिशन की चिंता करते हैं।
भोपाल में भी प्रशासन ने हरियाली बढ़ाने की मुहिम आरंभ की तो समाज में इस संकल्प में साथ आ खड़ा हुआ। भीड़ में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो केवल पौधे लगा कर चेहरा चमकाने की कवायद में नहीं जुटे हैं।
वे पौधे लगा कर उनके पेड़ होने तक की यात्रा में संरक्षक बने हुए हैं। ऐसा ही एक नाम है उमाशंकर तिवारी। पिछले कई बरसों से पर्यावरण चेतना के लिए काम कर रहे तिवारी ने अपने क्षेत्र में अकेले ही पौधे लगाने का कार्य बरसों से जारी रखा हुआ है। वे हर साल कुछ-कुछ पौधे लगाते हैं। उनका कहना है उनके द्वारा लगाए गए पौधोंमें से 1100 पेड़ बन चुके हैं।
इस बार जब ग्रीन भोपाल कूल भोपाल मुहिम चली तो अधिक लोग साथ हो गए। इस बार पौधरोपण की शुरुआत 14 जुलाई को कलश यात्रा की तरह सिर पर पौधे रख ‘पौध यात्रा’ से की गई।
28 जुलाई को 10 मिनट में 690 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। उम्मीद से अधिक लोगों ने एकजुट हो कर पांच-सात मिनट में 690 पौधे रोप दिए। खासबात यह है कि केवल पौधे नहीं रोपे गए बल्कि उनकी सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए। तिवारी कहते हैं जब तक ट्री गार्ड नहीं होता हम पौधे नहीं लगाते।
यही वाक्य पूरी बात का सबब भी है। आप पौधे तब ही लगाइए जब पौधे के पेड़ हो जाने के इंतजाम भी किए जाएं। अन्यथा तो आपकी फिक्र रस्मी ही साबित होगी सिर्फ चेहरा दिखाने जुगत। और ऐसी जुगत हमारी पृथ्वी के संकट को कम नहीं कर सकती।
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