मल्हार मीडिया डेस्क।
कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में ट्रेन दुर्घटना को लेकर सवाल उठाए हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार से 7 तीखे सवाल पूछे।
मुख्य विपक्षी दल ने इसे लेकर भारतीय रेलवे के प्रबंधन में आपराधिक लापरवाही का आरोप भी लगाया। मालूम हो कि इस दुर्घटना में 10 लोगों की मौत और दर्जनों लोगों के घायल हैं।
खरगे ने एक्स पर पोस्ट करके कहा, 'जब भी कोई रेल हादसा होता है, मौजूदा रेल मंत्री जी कैमरों से लैस घटनास्थल पर पहुंच कर ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, बताइए किसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए, रेल मंत्री की या आपकी?'
मल्लिकार्जुन खरगे की पोस्ट में कहा गया कि हमारे 7 प्रश्न हैं जिनका जवाब मोदी सरकार को देना पड़ेगा!
- बालासोर जैसे बड़े हादसे होने के बाद बहुप्रचारित कवच सुरक्षा का एक भी किलोमीटर क्यों नहीं जोड़ा गया?
- रेलवे में करीब 3 लाख पद खाली क्यों हैं, उनको पिछले 10 सालों में क्यों नहीं भरा गया?
- NCRB (2022) रिपोर्ट के मुताबिक, रेल हादसों में 2017 से 2021 के बीच ही 1,00,000 लोगों की मृत्यु हुई है! इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि मानव संसाधन की भारी कमी के कारण लोको पायलटों के लंबे समय तक काम करने के घंटे, दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण हैं। फिर पद क्यों नहीं भरे गए?
- संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई 'उपेक्षा' के लिए रेलवे की आलोचना की थी। यह कहा था कि CRS केवल 8%-10% हादसों की जांच करता है, CRS को मजबूती क्यों नहीं प्रदान की गई?
- CAG के अनुसार, राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) में 75% फंडिंग काम क्यों की गई, जबकि हर साल 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाने थे। इसका पैसा रेलवे अधिकारियों द्वारा गैर-जरूरी चीजों के खर्च व आराम फरमाने वाली सहूलियतों पर क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है?
- आम स्लीपर क्लास से रेल यात्रा करना हुआ बहुत महंगा क्यों हो गया है? Sleeper Coach की संख्या क्यों घटाई गई है? रेल मंत्री ने हाल ही में रेल डिब्बों में अधिक भीड़ करने वालों के खिलाफ पुलिस बल का इस्तेमाल करने की बात कही। लेकिन क्या उन्हें नहीं पता कि पिछले साल सीटों की भारी कमी के कारण 2.70 करोड़ लोगों को अपनी टिकटें रद्द करानी पड़ी जो कि मोदी सरकार की डिब्बों की संख्या कम करने की नीति का सीधा परिणाम है?
- क्या मोदी सरकार ने 2017-18 में रेल बजट का आम बजट में विलय किसी भी तरह की जवाबदेही से बचने के लिए किया गया था? जनता इसका जवाब चाहती है! स्वयं के महिमागान से मोदी सरकार द्वारा भारतीय रेलवे पर की गई आपराधिक लापरवाही को बदला नहीं जा सकता ! शीर्ष स्तर पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
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