मल्हार मीडिया ब्यूरो।
समलिंगी शादी को मान्यता की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने अहम टिप्पणी दी है। उन्होंने कहा कि समलैंगिक संबंध एक बार का रिश्ता नहीं, अब ये रिश्ते हमेशा के लिए टिके रहने वाले हैं। ना ये सिर्फ शारीरिक, बल्कि भावनात्मक रूप से मिलन भी है।
ऐसे में समान लिंग शादी के लिए 69 साल पुराने स्पेशल मेरिज एक्ट के दायरे का विस्तार करना गलत नहीं।
ट्रोल होने की आशंका जताते हुए CJI ने कहा कि विषमलिंगी परिवार में बच्चे को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़े तो क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके न केवल एक ही लिंग के सहमति देने वाले वयस्कों के बीच संबंधों को मान्यता दी, बल्कि इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि समलैंगिक संबंध सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, स्थिर रिश्ते हैं।
समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर अदालत भी पहले ही मध्यवर्ती चरण में पहुंच चुकी है, जिसने इस बात पर विचार किया था कि समान लिंग वाले लोग "स्थिर विवाह जैसे रिश्तों" में होंगे। इसलिए समलैंगिक विवाह का विस्तार SMA में करने में कुछ गलत नहीं है।
SMA के तहत आवश्यकता के अनुसार, पक्ष को "इच्छित विवाह" का नोटिस देना है, इससे उन लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग हैं, जो कि हाशिए के समुदाय या अल्पसंख्यक हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "69 सालों में समाज और कानून विकसित हुए हैं. SMA केवल ढांचा प्रदान करता है। नई अवधारणाओं को इसमें आत्मसात किया जा सकता है. हम मूल व्याख्या से बंधे नहीं हैं। इसका विस्तार किया जा सकता है। हमारे कानून ने वास्तव में समलैंगिक संबंधों को विकसित किया है।
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, "सवाल यह है कि क्या एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध इतना मौलिक है कि हम समान लिंग के बीच संबंध को शामिल नहीं कर सकते? स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 का उद्देश्य उन लोगों के विवाह की अनुमति देना था, जो विवाह के धार्मिक शासन से परे पूरी तरह से पर्सनल लॉ पर नहीं हैं।
जब समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया, तो आपको यह भी एहसास होता है कि ये एक बार के रिश्ते नहीं हैं, ये स्थायी रिश्ते भी हैं। ये ना सिर्फ शारीरिक तौर पर, बल्कि भावनात्मक रूप से भी ये मिलन स्थिर है।
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