मल्हार मीडिया भोपाल।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल रविवार 28 मई नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। चार मंजिला यह इमारत बेहद खूबसूरत है।
पीएम द्वारा जारी किए गए एक वीडियो नई संसद की भव्यता की झलक को देखा जा सकता है।
इस संसद के निर्माण के लिए देशभर से सामग्री मंगवाई गई थी, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इससे दो दिन पहले यानी 26 मई को पीएम ने अपने ट्विटर हैंडल से संसद की नई बिल्डिंग का वीडियो शेयर कर दिया। 1.48 सेकंड के इस वीडियो में संसद की खूबसूरती और भव्यता को देखा जा सकता है।
इस इमारत में देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां और आर्ट वर्क बनाए गए हैं। इसके अलावा इसमें देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियां भी दिखाई जाएंगी, इनमें गरुड़, गज, अश्व और मगर शामिल हैं।
इसके अलावा भवन में तीन द्वार बनाए गए हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। इस इमारत में भारत के आधुनिक बनने तक के सफर की छलक भी देखने को मिलेगी।
इस इमारत में एक भव्य संविधान हॉल, एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और पार्किंग की जगह भी होगी। लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से अनोखी सामग्रियों को जुटाया गया है, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इससे दो दिन पहले यानी 26 मई को पीएम ने अपने ट्विटर हैंडल से संसद की नई बिल्डिंग का वीडियो शेयर कर दिया। 1.48 सेकंड के इस वीडियो में संसद की खूबसूरती और भव्यता को देखा जा सकता है।
इस इमारत में देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां और आर्ट वर्क बनाए गए हैं।
इसके अलावा इसमें देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियां भी दिखाई जाएंगी, इनमें गरुड़, गज, अश्व और मगर शामिल हैं।
इसके अलावा भवन में तीन द्वार बनाए गए हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है. इस इमारत में भारत के आधुनिक बनने तक के सफर की छलक भी देखने को मिलेगी।
इस इमारत में एक भव्य संविधान हॉल, एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और पार्किंग की जगह भी होगी।
लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से अनोखी सामग्रियों को जुटाया गया है, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है।
नई संसद में लगी सागौन की लकड़ी नागपुर मंगाई गई थी.
राजस्थान के सरमथुरा का सैंडस्टोन (लाल और सफेद) का इस्तेमला किया गया है.
यूपी के मिर्जापुर की कालीन इसके फ्लोर पर लगाई गई है.
अगरतला से मंगवाई गई बांस की लकड़ी इसके फर्श पर लगाई गई है.
राजस्थान के राजनगर और नोएडा से स्टोन जाली वर्क्स लगाए गए.
अशोक प्रतीक को महाराष्ट्र के औरंगाबाद और जयपुर से मंगवाए गए.
संसद में लगा अशोक चक्र इंदौर से लाया गया है.
इसके अलावा कुछ फर्नीचर मुंबई से मंगाए गए थे.
जैसलमेर से लाख लाल मंगवाया गया.
राजस्थान के अंबाजी से अंबाजी सफेद संगमरमर खरीदा गया था.
केशरिया ग्रीन स्टोन उदयपुर से मंगवाया गया था.
पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर से लिया गया.
कुछ पत्थर राजस्थान के कोटपूतली से भी मंगवाए गए थे.
एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी, फ्लाई ऐश ब्रिक्स को NCR, हरियाणा और यूपी से खरीदा गया था.
एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी, फ्लाई ऐश ब्रिक्स को NCR, हरियाणा और यूपी से खरीदा गया था।
ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच अहमदाबाद से लाया गया था जबकि एलएस/आरएस फाल्स सीलिंग स्टील संरचना दमन व दीव से ली गई थी।
21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है। इन दलों में कांग्रेस, डीएमके ( द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम ), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं।
वहीं एनडीए ने बहिष्कार को लेकर बयान जारी किया, 'बहिष्कार का फैसला केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का भी घोर अपमान है।
संसद के प्रति इस तरह का खुला अनादर न केवल बौद्धिक दिवालिएपन को दर्शाता है बल्कि लोकतंत्र के सार के लिए परेशान करने वाली अवमानना है।
अफसोस की बात है कि इस तरह के तिरस्कार का यह पहला उदाहरण नहीं है. पिछले 9 वर्षों में, इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत सम्मान दिखाया है। सत्रों को बाधित किया है, महत्वपूर्ण विधानों के दौरान बहिर्गमन किया है और अपने संसदीय कर्तव्यों के प्रति खतरनाक अभावग्रस्त रवैया प्रदर्शित किया है। यह हालिया बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की उनकी टोपी में सिर्फ एक और पंख है।
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