मल्हार मीडिया भोपाल।
मणिपुर के उस वीडियो को आपने देख लिया होगा. देखकर रूह कांप गई होगी. पर जब उसके पीछे की कहानी और पुलिस की जांच की सच्चाई जानेंगे तो आप को और ज्यादा हैरानी होगी. ऐसा नहीं की इस घटना के दौरान मौके पर पुलिस नहीं पहुंची थी. बल्कि सबसे चौंकाने वाली बात है जिन दो लोगों की हत्या हुई और तीन महिलाओं के कपड़े उतारे गए और गैंगरेप हुआ उन्हें पहले पुलिस ने बचा लिया था.
पुलिसवाले भीड़ में से लेकर सभी को थाने की तरफ ले जा रहे थे. लेकिन थाने से ठीक 2 किमी पहले ही काफी संख्या में भीड़ ने घेर लिया तो पुलिसवालों ने कुकी समुदाय के इन 5 लोगों को वहीं छोड़ दिया. इसके बाद जो भीड़ ने किया उसका एक बेहद छोटा हिस्सा करीब ढाई महीने बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. वरना इस सनसनीखेज और शर्मनाक घटना को मणिपुर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से छुपाने में जुटी हुई थी. आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि आखिर मणिपुर में शर्मनाक घटना की क्या है पूरी कहानी
मणिपुर यानी आभूषणों वाली भूमि. लेकिन आज उसी धरती पर इंसानियत की आभूषण यानी एक नारी की इज्जत को ना सिर्फ तार-तार किया गया बल्कि ये जता दिया कि भीड़ ये भूल जाती है हम दरिंदे हैं. मणिपुर में मैतेई, कुकी और नागा तीन बड़े समुदाय हैं. इन समुदाय में 60 से ज्यादा की जनजातियां रहतीं हैं. ये जो वीडियो वायरल हुआ उसमें जिन दो समुदायों के बीच का विवाद है वो कुकी और मैतेई समुदाय है. मैतेई को मणिपुर का मूल समुदाय कहा जाता है. असल में 3 मई को इस लड़ाई की शुरुआत हुई थी.
उस दिन कुकी समुदाय की तरफ से आदिवासी एकता मार्च निकाली गई थी. उसी समय मैतेई समुदाय के साथ इनकी भिड़ंत हो गई थी. जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. फिर दोनों समुदायों में तनाव का माहौल बन गया था. इसके अगले ही दिन यानी 4 मई को मैतेई समुदाय के 900 से 1000 की भीड़ अचानक दोपहर में कुकी समुदाय के कांगकोपी वाले इलाके में पहुंचती है. यहां पर पहुंचते ही इस भीड़ ने सभी के घरों में आग लगा दी. कुकी समुदाय के लोगों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, भीड़ ने घरों में खूब लूटपाट भी की.
पहले पिता की हत्या, फिर कपड़े उतरवाए, गैंगरेप, लड़के का मर्डर
हिंसक भीड़ ने सामानों की तोड़फोड़ की और फिर आग लगा दी. उसी समय अपनी जान बचाने के लिए एक ही परिवार के 5 लोग जंगल की तरफ भागकर निकले थे.ये भागते हुए थोबुल जिले के एक जंगल तक पहुंच गए. वहां पर पुलिस ने इन्हें बचाकर थाने ले जाने लगी थी. उसी समय भीड़ घेर लेती है. इसे देखकर पुलिस वहीं पर पांचों लोगों को छोड़कर लौट जाती है. इसके बाद ये भीड़ सबसे पहले उन लड़कियों के पिता की हत्या कर देती है.
अब बचता है 19 साल का एक लड़का और 21 साल की लड़की. इनके अलावा 45 साल और 52 साल की महिला. अब ये भीड़ तीनों महिलाओं के कपड़े उतारकर नंगी कर देती है. 21 साल की लड़की से कई हैवान अपनी हैवान की भूख मिटाते हैं. गैंगरेप करते हैं. इसे देख उसका भाई विरोध करता है. बहन की इज्जत बचाने के लिए अपनी जान लगा देता है. लेकिन आखिर में उसे मौत मिलती है. भीड़ उस युवक की बेरहमी से हत्या कर देती है. इसके बाद वही भीड़ तीनों महिलाओं को नग्न हालत में लेकर दूसरी तरफ जाती है. जिसका एक वीडियो अब करीब ढाई महीने बाद 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पूरी दुनिया को पता चला.
18 मई को शिकायत, 21 जून को FIR, 20 जुलाई को 1 गिरफ्तार बस…
आते हैं इस मामले की शिकायत पर. इस घटना की शिकायत थोबुल थाने में पहले 18 मई को दी गई. वहां की पुलिस इस केस को जीरो एफआईआर में दर्ज कर घटना को कांगपोक-पी जिले के सैकुल थाने में भेज देती है. अब सैकुल थाने में इसकी एफआईआर घटना के 47 दिन बाद 21 जून को दर्ज होती है. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता है. पुलिस बस तमाशा देखती रहती है. अब घटना के करीब 80 दिन बाद जब 19 जुलाई को दो महिलाओं के न्यूड परेड का वीडियो वायरल होता है और मीडिया में चर्चा होती है. तब पुलिस एक्शन में आती है. एक आरोपी को गिरफ्तार कर लेती है. मणिपुर वायरल वीडियो मामले में मुख्य आरोपी खुयरूम हेरादास को आज सुबह थॉउबल ज़िले से गिरफ़्तार किया गया.
अब मणिपुर के कुछ लोगों से क्राइम तक ने बात की तो लोगों ने कहा कि घटना के अब 80 दिनों बाद वायरल वीडियो से अहसास हुआ कि आखिर क्या हो रहा है. अब आप लोग सोचिए कि इन 80 दिनों में दंगों में फंसे लोगों की क्या हालत हुई होगी. हर परिवार अपनी मां-बहन और बेटियों की इजज्त बचाने में लगा है. इनका कहना है कि जो वीडियो में दिखा है उससे कहीं ज्यादा लोगों के साथ दरिंदगी हुई है. उसका वीडियो तो अभी सामने नहीं आया है.
साभार क्राईम तक से
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