मल्हार मीडिया डेस्क।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। इसके साथ ही राज्य की भी 224 सीटों के लिए उतरे सभी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला हो गया।
कांग्रेस ने 136, भाजपा ने 65, जेडीएस ने 19 और अन्य ने चार सीटों पर जीत दर्ज की। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों के नेताओं ने राज्य के हरेक हिस्सों में जनता को अपनी ओर रिझाने की कोशिश की। यहां यह भी जानना दिलचस्प होगा कि इन क्षेत्रों किस पार्टी को कितनी सफलता मिली है।
दरअसल कर्नाटक में छह क्षेत्रों में फैली 224 विधानसभा सीटें हैं। ये इलाके हैं वृहद बेंगलुरु, मध्य कर्नाटक, तटीय कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक, मुंबई कर्नाटक और दक्षिणी कर्नाटक। मुंबई-कर्नाटक और दक्षिणी कर्नाटक राज्य के सबसे बड़े क्षेत्र हैं।
मध्य कर्नाटक क्षेत्र में 31 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं। यह वर्षों से भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। इस इलाके में लिंगायत समुदाय साथ, एक बड़ी एससी/एसटी आबादी भाजपा को वोट करती आई है। भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी इसी क्षेत्र से आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने यहां 20 सीटें हासिल कीं, जिससे वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। इस चुनाव में यहां भाजपा को सात, कांग्रेस को 21 और जेडीएस को तीन सीटें मिली हैं।
दक्षिण कर्नाटक राज्य का सबसे बड़ा इलाका है जहां 55 विधानसभा सीटें आती हैं। क्षेत्र हमेशा जेडीएस और उसके बाद कांग्रेस का क्षेत्र रहा है। यहां रहने वाला वोक्कालिगा समुदाय अधिकतर जेडीएस को ही वोट करता आया है। उधर भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है। इसके लिए पार्टी के बड़े नेताओं की ओर से कई दौरे किए। खास तौर पर गृह मंत्री अमित शाह के दौरे ने इस क्षेत्र में पहली बार कांग्रेस और जेडीएस के बीच पार्टी को त्रिकोणीय लड़ाई लड़ाने की कोशिश की। बीते चुनाव में यहां भाजपा को 11 ही सीटें मिल पाई थीं। कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि जेडीएस ने सबसे ज्यादा 25 सीटें कब्जाई थी। इसके अलावा दो सीटों पर अन्य विजयी हुए थे।
बंगलुरु के पूरे क्षेत्र को वृहद बंगलुरु कहा जाता है जिसमें इसके शहरी और ग्रामीण इलाके दोनों शामिल हैं। यहां कुल 28 विधानसभा क्षेत्र हैं। पिछले ट्रेंड्स पर नजर डालें तो शहरी बाहुल्य इलाके में भाजपा की तुलना में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती आई है। 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो यहां भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट आई है। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 28 में से 11, कांग्रेस को 15 और जेडीएस को दो सीटें मिली थीं।
मुंबई या बॉम्बे कर्नाटक क्षेत्र राज्य का सबसे बड़ा इलाका है। महाराष्ट्र के साथ जारी सीमा विवाद के बाद पिछले साल इसका नाम कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र कर दिया गया। इसमें सात जिले शामिल हैं जो कर्नाटक विधानसभा में 50 विधायक भेजता है। लिंगायत बहुल क्षेत्र में भाजपा का दबदबा है, जहां से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कई वरिष्ठ राजनीतिक नेता आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की 50 में से 30 सीटों पर भाजपा, 17 पर कांग्रेस, दो पर जेडीएस और एक पर अन्य को जीत मिली थी।
तटीय कर्नाटक राज्य का सबसे छोटा इलाका है जहां उत्तर कन्नड़, दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों के 19 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं। यह इलाका दक्षिणी राज्य की धार्मिक राजनीति का केंद्र है। हिजाब और हलाल विवाद, जो एक देशभर में सुर्खियों में रहा, उडुपी जिले से शुरू हुआ था। इसके अलावा सत्तारूढ़ भाजपा ने तटीय कर्नाटक में अपने 16 मौजूदा विधायकों में से छह को टिकट नहीं दिया है, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक है।
इस क्षेत्र में सारस्वत ब्राह्मणों की एक बड़ी आबादी है और मोगावीरा नामक एक मछुआरा समुदाय रहता है। इन्हीं दो समुदायों के लोग ज्यादातर भाजपा को वोट करते आए हैं। 2018 में यहां की 19 में 16 सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। वहीं, कांग्रेस को महज तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
हैदराबाद बाद, राज्य का उत्तर-पूर्वी हिस्सा पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यह वह क्षेत्र है जहां से पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरेंद्र पाटिल और एन. धरम सिंह, और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अनुभवी निकले। इसके अलावा माइनिंग किंग कहे जाने वाले जनार्दन रेड्डी भी इसी इलाके से ताल्लुक रखते हैं।
इस इलाके में कई ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी उम्मीदवारों की किस्मत तय करती आई है। यहां बीते कई चुनावों में सत्ताधारी भाजपा को मन चाही सफलता नहीं मिल सकी है। 2018 के विधानसभा चुनावों में हैदराबाद कर्नाटक की 41 में से 16 सीट पर भाजपा, 21 पर कांग्रेस और जेडीएस को चार सीटों पर सफलता मिली थी।
इस चुनाव की बात करें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के दौरान आक्रामक प्रचार किया। वहीं, अपने घरेलू मैदान पर अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए प्रदेश का दौरा करने के बाद खरगे ने चुनाव से पहले कर्नाटक क्षेत्र में सबसे अधिक समय बिताया।
2023 चुनाव में कांग्रेस को 26, भाजपा को 10, जेडीएस को तीन और दो पर अन्य को जीत मिली।
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