डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
कुछ लोग यह मानते हैं कि अगर किसी की मृत्यु पंचक काल में हो जाए तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। पंडित कहते हैं कि ऐसे में मृतक की देह को अकेले जलाना ठीक नहीं होता। उसके साथ 5 और जीवों को भी जलाना होता है।
इसके लिए पांच पुतले बनाए जाते हैं। उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और फिर उन पांचों पुतलों को मृतक के साथ जला दिया जाता है।
ऐसे में 5 पुतले बनाये जाते हैं। उनकी प्राण प्रतिष्ठा होती है लेकिन बेटे के विरोध के बाद अग्निदाह मृतक का अकेले ही होता है। 'प्राण पा चुके' सभी 5 पुतले यहां वहां बिखर जाते हैं। इनमें से एक पुतला चला जाता है एक विवाह वाले घर में।
वह पुतला क्या-क्या गुल खिलाता है उससे ही हॉरर उपजता है फ़िल्म । यह फिल्म अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली है।
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