भागवत-नड्डा का आना, प्रभारी बदलना केवल संयोग मात्र नहीं

राजनीति            Sep 12, 2022


अनिरूद्ध दुबे।

एक ही हफ्ते के भीतर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ आना।

उनके तुरंत बाद भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का यहां आकर कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करना और चलते सम्मेलन के बीच ही ओम माथुर के भाजपा छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी बनाए जाने की ख़बर आना क्या यह संयोग मात्र था, शायद नहीं!

भागवत व नड्डा के इस तरह के बड़े कार्यक्रम अचानक नहीं बनते, बल्कि पूर्व निर्धारित होते हैं।

फिर किस स्टेट का कौन भाजपा प्रभारी होगा यह तो राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा व उनके सहयोगी वरिष्ठ नेता ही तय करते हैं।

कोई ऐसा तो है नहीं कि रायपुर पहुंचने के बाद नड्डा ने इस पर बड़ा फैसला ले लिया। यह भी पहले से ही निर्धारित था।

यानी भागवत व नड्डा के आने से लेकर प्रदेश प्रभारी बदलने की बात पहले से ही तय थी।

सवाल यह उठता है कि इस समय सबसे ज़्यादा राजनीतिक प्रयोग छत्तीसगढ़ में ही क्यों?

जिस छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल भाजपा की सरकार रही हो और वहां भाजपा विधायकों की संख्या 14 में आकर सिमट जाए तो राष्ट्रीय नेताओं के लिए इससे बड़ा तकलीफदेह क्या होगा।

नड्डा भले ही कहते रहें कि छत्तीसगढ़ सोनिया गांधी व राहुल गांधी के लिए एटीएम होकर रह गया है, लेकिन संसाधनों से भरपूर इस प्रदेश की महत्ता क्या है भला उनसे बेहतर कौन जानता होगा?

आख़िर नड्डा जी खुद भी तो क़रीब 5 साल छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे थे।

पार्टी के लोग यही मानते हैं कि जब तक नड्डा जी यहां के प्रभारी थे बड़े लोगों के ऊपर उनकी जबरदस्त लगाम थी लेकिन यहां से उनका प्रभार हटते ही धीरे-धीरे सारा परिदृश्य बदलते चला गया।

भाजपा के सारे दिग्गज जान रहे हैं कि मध्यप्रदेश व राजस्थान की तूलना में छत्तीसगढ़ के हालात कठिन हैं।

यहां वापसी के लिए कई तरह के यत्न करने होंगे।

हफ्ते-दस दिन के भीतर छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष का बदल जाना एक ही समय पर भागवत व नड्डा का प्रवास और नये प्रभारी की घोषणा ये सब समझने के लिए काफ़ी हैं कि छत्तीसगढ़ में 15 साल तक राज कर चुकी पार्टी अभी से पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है।

आगे और भी चौंकाने वाले राजनीतिक घटनाक्रम सामने आ सकते हैं। रायपुर में भागवत व नड्डा के बीच हुई हालिया लंबी बातचीत काफ़ी कुछ संकेत देती नज़र आ रही है।

 



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