मल्हार मीडिया भोपाल।
2018 के बगावत के कारण सत्ता खोने वाली कांग्रेस अब अपना हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। पांच महीने बाद होने वाले चुनावों में कांग्रेस को फिर से बगावत का डर सता रहा है।
हालांकि, कांग्रेस ने अब इस बगावत के डर का इलाज खोज निकाला है। कांग्रेस ने प्रत्येक कार्यकर्ता को ईश्वर की शपथ दिला रही है कि उम्मीदवार चाहे कोई भी हो, काम वह कांग्रेस का ही करेंगे।
कांग्रेस के अंदरखाने में कई दिनों से इस बात की चर्चा है कि टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में बड़े पैमाने पर बगावत हो सकती है।
कई टिकट के दावेदार बागी होकर कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, इन सभी सूचनाओं के आधार पर कांग्रेस के आला नेताओं ने बगावत के डर का इलाज तलाशा है। प्लान है कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपने-अपने ईश्वर की शपथ दिलाने का।
मध्य प्रदेश में बूथ स्तर पर कांग्रेस के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं की अंदरूनी बैठक ले रहे हैं, इन बैठकों में कार्यकर्ताओं को चर्चा के बाद शपथ ग्रहण कराई जाती है।
यह शपथ होती है कि हम ईश्वर की शपथ लेते हैं कि विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार चाहे कोई भी रहे, हम कांग्रेस के झंडे और निशान के लिए काम करेंगे।
कांग्रेस के लिए तन-मन-धन से समर्पित होकर कार्य करते रहेंगे, यह शपथ बूथ कार्यकर्ता मण्डलम सेक्टर पर सक्रिय नेताओं को दिलाई जा रही है।
इस तरह की बैठकों में कांग्रेस से टिकट मांगने वाले उम्मीदवारों को दूर रखा जा रहा है। इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति है कि अगर कोई टिकट का दावेदार बागी होकर चुनाव लड़ता भी है तो कार्यकर्ता उसका साथ नहीं दें, जिससे की कांग्रेस को बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं होगा और कांग्रेस का अधिकृत उम्मीदवार विजयी होगा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बगावत न करने की शपथ दिलाने की शुरुआत सबसे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में हुई है। हाल ही में सीहोर जिले में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई थी, इस बैठक में जिला संगठन मंत्री गणेश तिवारी और सहयोगी जयंत शाह ने कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद इस तरह की शपथ दिलाई. इस बैठक को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस मप्र के प्रत्येक जिले में कार्यकर्ताओं को इस तरह की शपथ दिलाने की तैयारी में है. चुनाव से कई महीने पहले कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर सिर्फ कांग्रेस के लिए काम करने के लिए तैयार कर लिया जाएगा।
इसके पीछे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की सोची समझी रणनीति है, उन्होंने जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सीधे तौर पर कांग्रेस के आला नेतृत्व से जोडऩे का काम कर लिया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की इस रणनीति से चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। पिछले चुनावों में देखा गया था कि टिकट वितरण में हुई देरी के कारण कई विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को मतदान केन्द्र पर बैठने वाले एजेंट तक नहीं मिले थे।
इसी से सबक लेकर अब कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं को पहले से ही तैयार करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस आलाकमान का मानना हे कि इस शपथ के बाद से ही कार्यकर्ता का मन फिक्स रहेगा और वह कांगे्रस उम्मीदवार के लिए ही काम करेगा।
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