खामियाजा विजयवर्गीय के खाते में ही आएगा,प्रतिफल से पहले प्रारब्ध का आड़े आना

राजनीति            Jul 03, 2019


प्रकाश भटनागर।
वाकई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद अदा किया जाना चाहिए। पूरा धन्यवाद अगर ना देना चाहे तो भी आधे पर तो उनका हक बनता है। निश्चित तौर पर मोदी ने भाजपा के शुभचिंतकों और संघ की विचारधारा के पैरोकारों के लिए 'तमसो मा ज्योतिर्मय' का संदेश तो कम से कम दिया ही है। नरसिंहपुर, हरदा और फिर इंदौर की घटनाओं के बाद भाजपा के समर्थक और शुभचिंतक दोनों ही उलझन के शिकार थे।

प्रहलाद पटेल और कमल पटेल के बेटों को तो उनके किए की सजा कानून भी देगा ही लेकिन इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश एक बड़े नेता के बेटे होने के अलावा एक सम्मानित जनप्रतिनिधि भी हैं। उन्होंने जो किया, उसकी अपेक्षा कोई भी नहीं कर सकता।

भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी इंदौर प्रकरण पर अपना रूख प्रकट करेंगे, यह शायद किसी के दिमाग में नहीं था। एक दिन पहले जिस तरह से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकारों को बताया था कि अमित शाह ने उनसे केवल इतना ही पूछा कि बेटे की जमानत हुई या नहीं? इस जानकारी के बाद तो गुंजाईश खत्म ही मान लेना चाहिए थी।

आखिर पिछले पांच-छह साल में यह धारणा बनी है कि विजयवर्गीय अमित शाह के बहुत नजदीकी और खास व्यक्ति हैं। हरियाणा और फिर पश्चिम बंगाल में जैसा भरोसा शाह ने विजयवर्गीय पर जताया और उस पर जैसे वे खरे भी उतरे, इसके बाद शक शुबहे का कोई कारण भी नहीं बनता।

मगर मोदी ने कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में ही बिना नाम लिए अपना सख्त रूख जाहिर कर दिया। इस बात को मानने से इंकार करने का कोई कारण नहीं है कि मोदी राजनीति में परिवारवाद के सख्त खिलाफ हैं। इसलिए सूत्र यह भी बताते हैं कि मोदी इस बात पर भी नाराज थे कि विजयवर्गीय ने बेटे के लिए जिद करके टिकट लिया।

हालांकि यह मोदी और शाह की सख्ती का ही परिणाम था कि कैलाश विजयवर्गीय को अपना दावा छोड़ना पड़ा था। मोदी ने टिकट बंटवारे के समय संसदीय बोर्ड में स्पष्ट कर दिया था कि यदि कोई अपने परिवार में किसी के लिए भी टिकट चाहता है तो उसे खुद का दावा पहले छोड़ना होगा।

इसलिए मोदी ने संसदीय दल की बैठक में इस घटना पर क्षोभ जताते हुए ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का सुझाव भी दिया है। मोदी ने एक कदम आगे बढ़कर ऐसे लोगों का समर्थन करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा।

मोदी ने आकाश के इस कथन पर भी आश्चर्य जताया जिसमें उसने कहा था, पहले निवेदन फिर आवेदन और फिर दनादन। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी प्रतिनिधि ऐसा आचरण कैसे कर सकता है? यह मनमानी नहीं चलेगी।

भाजपा को कई लोगों ने खून पसीने के साथ यहां तक पहुंचाया है और कुछ लोग इस तरह का आचरण करते हैं जो समाज में अस्वीकार्य है। ऐसे लोगों को पार्टी ने बाहर कर देना चाहिए और उन लोगों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो इनका समर्थन करते हैं। निश्चित ही मोदी की प्रतिक्रिया राहत देने वाली है।

इस मामले में इंदौर की सड़कों से लेकर भोपाल तक जो कुछ चला, उसे लेकर भ्रम था कि इस सबको व्यवस्था का महज बलात्कार कहें या इसे व्यवस्था का सामूहिक बलात्कार माना जाना चाहिए। सच मानिए इसे लेकर अंधेरे का माहौल था।

बल्ला हाथ में लिये बिगड़ैल बेटे को प्रोत्साहन देता पिता हमें कभी किसी बिहार के गुंडा और माफिया की याद दिलाता हैं तो कभी उत्तरप्रदेश के किसी गेस्ट हाउस के बाहर सियासी बदले के नाम पर किसी स्त्री की मर्यादा पर विद्वेष और मानसिक नपुसंकता का भौंडा परिचय देती अराजक भीड़ के तौर पर हम उन्हें देखने को विवश हुए हैं।

भोपाल में महात्मा गांधी के हत्यारे के समर्थक के रूप में किसी भगवाधारी को झेलने की हिम्मत तो 'भगवा आतंकवाद' और 'मोदी' के नाम पर लोगों ने कर ली।

मोदी ने तो जाहिर है साध्वी को अब तक अपने कहे के अनुसार माफ नहीं किया है लेकिन पार्टी ने नोटिस देने के अलावा अब सांसद हो चुकी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं की है। इंदौर में हुई दादागिरी भी इसी तरह से कमल के नीचे वाले कीचड़ को उसकी एक-एक पंखुड़ी पर चिपका देगी।

गनीमत है कि मोदी कम से कम सतर्क हैं। अब बस इस बात का इंतजार किया जा सकता है कि भाजपा आकाश विजयवर्गीय को नोटिस देने की औपचारिकता कब पूरी करती है। इस मामले में ज्यादा खामियाजा वाकई कैलाश विजयवर्गीय के ही खाते में दर्ज होगा।

पहले हरियाणा और बाद में पश्चिम बंगाल में जिस तरह से पार्टी को खड़ा करने की पुण्याई विजयवर्गीय ने बटोरी थी, जाहिर है इस एक घटना ने उस पर पानी फेर दिया है। प्रतिफल से पहले शायद प्रारब्ध आड़े आ रहा है।

 


Tags:

google-take-news google-tech

इस खबर को शेयर करें


Comments