मल्हार मीडिया भोपाल।
जो विधानसभा सत्र पांच दिन चलने की सूचना दी गई थी वह मुश्किल से ढाई दिन ही चल पाया।
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के ये ढाई दिन भी सिर्फ एतिहासिक हाईवोल्टेज ड्रामे और शोर-शराबे और के लिए ही याद रह जाएंगे।
हालांकि यह अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्यप्रदेश दौरे के मद्देनजर विधानसभा का सत्र समय से पहले ही खत्म किया जा सकता है। मगर इस तरह के अंत की भी उम्मीद कम ही की जा रही थी।
सदन में पोषण आहार घोटाले के मुद्दे पर विपक्ष की चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर खूब तकरार हुई।
इस बीच विपक्ष के विधायक को प्रवेश द्वार पर टोकाटाकी का मामला हंगामे का कारण बना और बीच में आ गए सत्तापक्ष के विधायक सो इस सत्र का तीसरा दिन आखिरी दिन साबित हुआ।
कहां तो यह कहा जा रहा था कि 12 घंटे कार्यवाही चलेगी लेकिन तीनों दिन मिलाकर तीन घंटे भी सत्र ठीक से नहीं चल पाया।
पहले दिन श्रद्धांजली और दूसरे दिन पोषण आाहर घोटाले पर चर्चा और मुख्यमंत्री का वक्तव्य पहले कराए जाने के कारण विपक्ष का हंगामा जारी रहा।
तीसरे दिन 45 मिनिट के भीतर सत्ता पक्ष ने साढ़े 9 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट और 11 विधेयक बिना चर्चा के पास कराए।
इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस तरह से 5 दिन तक चलने वाला सत्र सिर्फ ढाई दिन में ही खत्म कर दिया गया.
गुरूवार 15 सितंबर को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने पोषण आहार गड़बडी मामले में चर्चा कराए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने आश्वासन दिया था, इसलिए विपक्ष को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अध्यक्ष ने चर्चा कराए जाने का कोई आश्वासन नहीं दिया था।
मिश्रा ने कहा कि मामले का पटाक्षेप हो चुका है।
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि मामले पर मुख्यमंत्री अपना बयान दे चुके हैं। मैंने कहा था कि मैं सीएम के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष और विधायकों को बोलने का मौका दूंगा, लेकिन हंगामा ही होता रहा।
अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष से कहा कि प्रश्नकाल होने दीजिए इसके बाद कमरे में बैठकर चर्चा कर लेंगे, लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
जब सदन में हंगामा नहीं रूका तो पहले 10 मिनिट और फिर सदन का कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक गर्भगृह में पहुंच गए और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
हंगामे के बीच सदन में 9519 करोड़ का अनुपूरक बिना चर्चा के ही पारित करा लिया गया, जबकि इसके लिए ढाई घंटे का समय निर्धारित किया गया था।
इसके अलावा 11 विधेयक भी बिना चर्चा के पारित कर दिए गए, इनमें से 4 पर आज चर्चा होनी थी, जबकि 7 विधेयकों पर एक दिन बाद चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे के बीच सत्ता पक्ष ने सभी विधेयक बिना चर्चा के ही पास करा लिए।
विधानसभा में हंगामे को लेकर पक्ष-विपक्ष ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराना ही नहीं चाहती। पोषण आहार मामले में सरकार चर्चा से भाग रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चाहती ही नहीं थी कि सत्र लंबा चले।
नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया उन्होंने कहा कि विपक्ष किसी मुद्दे पर चर्चा करना ही नहीं चाहता थी, क्योंकि चर्चा होती तो कांग्रेस के पाप ही उजागर होते, इसलिए कांग्रेस विधायक सदन में सिर्फ हंगामा करते रहे।
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