ममता यादव।
अगर मैच्योरिटी ऑफ पॉलीटिक्स जैसा कोई शब्द बनता है तो निश्चित ही वर्तमान में यह तमगा मध्यप्रदेश में तो कम से कम भारतीय जनता पार्टी को ही मिलेगा। राज्यसभा में महिला, दलित, ओबीसी कार्ड एक साथ खेल गई भाजपा।
भाजपा ओबीसी कार्ड के बाद राज्यसभा के लिये दलित कार्ड भी खेल गई, इन दो के अलावा तीसीरा सबसे बड़ा कार्ड जो भाजपा ने खेला वह है महिला कार्ड।
इंदौर की कविता पाटीदार के बाद जबलपुर की सुमित्रा वाल्मीक को भाजपा ने मैदान में उतार दिया है।
कविता पाटीदार के नाम पर परिवारवाद के प्रश्न उठ रहे हैं लेकिन कविता पाटीदार का ओबीसी वर्ग से और महिला होना इन प्रश्नों को धुंधला कर गया है।
उधर मध्यप्रदेश कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद या तो माहौल ही नहीं भांप पा पाई वह एलिटों को साधती ही रह गई।
भाजपा की दोनों उम्मीदवार कल नामांकन भरेंगी।
सुमित्रा वाल्मीकि जबलपुर से भाजपा की राज्यसभा सांसद उम्मीदवार होंगी।
भाजपा ने कांग्रेस की राज्यसभा गलतियों से सीखकर अपने यहां एलीट कल्चर नहीं पनपने दिया।
उन्होंने राज्यसभा के लिए उन लोगों का चयन किया जिससे समाज के धरातल पर उनकी पकड़ बने।
कांग्रेस ने चिंतन करके कुछ एक नाम छोड़कर उन्हीं सबको रखा है जो इस प्राइवेट जेट में लग्जरी बढ़ाने का काम करते हैं।
खैर राज्यसभा की लिस्ट देखकर कांग्रेस के चुनावी भविष्य की तैयारी समझ आ गयी।
मध्यप्रदेश भाजपा ने सस्पेंस खत्म करते हुए आखिर को जबलपुर की सुमित्रा वाल्मीक को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है।
अब दोनों ही पार्टियों के राज्यसभा प्रत्याशी चयन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश में चुनावी माहौल और तैयारियां कैसी रहने वाली हैं।
Comments