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मंत्रीजी के जमीन प्रेम से कोई समझौता नहीं

राजनीति            Jul 09, 2023


कीर्ति राणा।

मध्यप्रदेश के उज्जैन दक्षिण से मोहन यादव चुनाव जीते तो कहा गया था कि वो जमीन से जुड़े नेता हैं, इसलिए जीते हैं।

मंत्री बनने के बाद से तो उनके  ‘जमीन’से जुड़ने के दबी जुबान वाले किस्सों पर आरएसएस को भी आश्चर्य हो रहा था।

डेढ़ साल पहले सांसद अनिल फिरोजिया ने बिना किसी व्यक्ति विशेष का नाम लिखे मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अनुरोध किया था कि जो कृषि भूमि आवासीय की जा रही है, उसे यथावत कृषि भूमि ही रहने दिया जाए।

संघ और सांसद के मन की बात मुख्यमंत्री से कहने का साहस उज्जैन दक्षिण से पार्टी के विधायक पारस जैन और पूर्व सांसद डॉ चिंतामण मालवीय ने दिखा दिया।

धर्म की नाव से चुनाव वैतरणी पार करने में जुटी भाजपा के मुख्यमंत्री कैसे सहन करते कि 2028 के सिंहस्थ को लेकर उन की छवि एक सहयोगी मंत्री के जमीन प्रेम के कारण दागदार हो।

उज्जैन के मास्टर प्लान में कृषि से आवासीय प्रस्तावित की जाने वाली भूमि की टीएनसीपी से तहकीकात करवाई।

यह भूमि परिवार विशेष के विभिन्न सदस्यों के  नाम होने की पुष्टि होने के बाद सरकार ने फटाफट भूमि का लैंड यूज कृषि ही रहने देने संबंधी सूचना भी जारी कर दी।

अब जो दबाव बन रहा है वह यह कि संघ-भाजपा की छवि पर बट्टा लगाने वाले मंत्री को  क्यों कंटिन्यू किया जाए? क्योंकि पेशाब कांड की तरह कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक और मुद्दा हाथ लग गया है।

पार्टी के अंदर यह भी तलाश शुरु हो गई है कि उज्जैन दक्षिण से किसे प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

निगम में पार्षद कलावती यादव की बेहतर छवि के आधार पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में कुछ इस नाम को उचित भी मान रहे हैं पर खतरा यह भी भांप रहे हैं कि परिवारवाद जैसा मुद्दा तूल ना पकड़ ले।

 



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