ममता यादव।
बेचारे विधायक नारायण त्रिपाठी बोले भाजपा में प्रताड़ित हो रहे थे। सम्भवतः त्रिपाठी जी हर बार प्रताड़नाओं से तंग आकर ही पार्टी बदली करते रहे।
पहले सपा से प्रताड़ित होकर कांग्रेस में चले गए फिर कांग्रेस से प्रताड़ित होकर भाजपा में चले गए फिर भाजपा ने प्रताड़ित किया तो कांग्रेस में आ गए।
कौल साहब तो जन्मजात कांग्रेसी थे ही टिकट की जुगाड़ में भाजपा में चले गए थे, पर वे विपक्ष में निराश हो चुके थे। आज थाली में बैंगन रखकर लुड़काया वो भी इतना नहीं लुढ़का जितने नेता सत्ता के लालच में लुढ़कते हैं।
इनके तर्क अखबार में पढ़कर हंसी आती है। माननीय विधायक जी हालाँकि आप लोग कितने अमाननिय हो चुके हैं यह हर कोई जानता है।
यह क्यों नहीं कहते कि विपक्ष में बैठना रास नहीं आ रहा था। सरकार में बैठने को मरे जा रहे हैं। आखिर को काम धंधे नहीं हो पा रहे थे।
इन जैसे जहां भी रहेंगे कमाएंगे-धमाएँगे ही। जनता तुम इसी में खुश रहो कि भाजपा ने कांग्रेस को सबक सिखाया कांग्रेस ने भाजपा को।
और हां अगले बार अपने मत के अधिकार का उपयोग जरूर करके आना ताकि इन जैसों की प्रताड़नाएं, निराशाएं खत्म हो सकें।
शर्मनाक! काहे का लोकतंत्र! कर्नाटक हो या मध्यप्रदेश क्या फर्क पड़ता है?
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