मल्हार मीडिया ब्यूरो।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक ज्यादातर विधायकों ने तीन महीने पहले दिए गए इस्तीफे वापस ले लिए हैं, लेकिन उनके तेवर अब भी बरकरार हैं।
शनिवार को 10 से ज्यादा गहलोत समर्थक विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी के बंगले पर पहुंचकर इस्तीफे वापस लिए, कई ने ईमेल पर तो कुछ ने विधानसभा जाकर इस्तीफे वापस लेने की चिट्ठी सौंपी।
गहलोत समर्थक विधायकों ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते वक्त जो तेवर दिखाए थे, वे ही तेवर आज इस्तीफे वापस लेते वक्त भी दिखाए। स्पीकर जोशी से मिलने के बाद विधायकों ने खुलकर कहा- कोई बदलाव नहीं होगा।
धरियावद से कांग्रेस विधायक नगराज मीणा ने कहा- मैंने मर्जी से इस्तीफा दिया। मर्जी से ही वापस ले लिया। राजस्थान में बदलाव के सवाल पर मीणा ने कहा- चुनाव छाती पर हैं।
मुख्यमंत्री बदलना है तो कांग्रेस खत्म थोड़े ही करना है। मुख्यमंत्री क्यों बदलेंगे? कौन बदल रहा है? विधायक सारे उनके ( गहलोत के) साथ हैं। अभी कोई बदलाव नहीं करेगा। चुनावी साल में कोई न तो बदला जाएगा न बदलेंगे।
मंत्री महेश जोशी ने कहा- विधानसभा का सत्र 23 जनवरी 2023 से शुरू होने वाला है। आप यह मान कर चलिए उसमें मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत बजट पेश करेंगे।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार जन भावनाओं के अनुसार बजट बनाएगी। बजट बनाकर जनता को जो राहत देगी, पिछले बजट से कम नहीं होगी। जब सब विधायक इस्तीफे वापस ले रहे हैं तो अच्छा सौहार्द्र का माहौल रहेगा।
मैं भी इस्तीफा वापस लेने पर विचार कर रहा हूं। सब कर रहे हैं, तो सबके साथ मैं भी हूं।
शनिवार को दिनभर विधायकों का सीपी जोशी के घर आना-जाना लगा रहा। शनिवार को 10 से ज्यादा गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए थे।
जोशी ने कहा- राजस्थान में पूरी कांग्रेस एक है। भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में कल्पना से अच्छी निकली है। यह अपने आप में एक संदेश है।
अशोक गहलोत ने 2018 के चुनाव से पहले कहा था- जनता की आवाज ईश्वर की आवाज होती है। विधायकों ने इस्तीफा वापस लिए हैं,कोई एक ऐसा क्षण बताइए जब राजनीति में दबाव नहीं होता।
कोई सरकार हो किसी पार्टी की हो कोई मुख्यमंत्री हो, दबाव और राजनीति का चोली-दामन का साथ है। दबाव में आकर निर्णय करना दूसरी बात है।
स्पीकर से मिलकर इस्तीफा वापस लेने के बाद कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने कहा- मैंने मेरी मर्जी से इस्तीफा दिया। मेरी मर्जी से वापस ले लिया।
मुझे लगा कि मुझे इस्तीफा देना चाहिए तो दे दिया और अब मुझे लग रहा है कि वापस लेना चाहिए तो से वापस ले लिया।
क्योंकि सीकर की जनता की मेरे से अपेक्षा है। सीकर की जनता की अपेक्षा पर इस्तीफा वापस ले लिया।
डॉ. जितेंद्र बोले- गहलोत राज में जितना 4 साल में काम हुआ, मैंने 35 साल में नहीं देखा
खेतड़ी से कांग्रेस विधायक डॉ. जितेंद्र ने कहा- इस्तीफा वापस लेने के लिए हाईकमान की तरफ से कोई मैसेज नहीं था, लेकिन जिस तरह की गतिविधियां थीं, उसमें निर्णय लिया गया कि सब को इस्तीफे वापस लेने हैं।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। बेहतरीन काम कर रहे हैं।
मेरा 35 साल का राजनीतिक करियर हो गया। इन चार साल में गहलोत राज में जो काम हुआ है, उतना कभी नहीं देखा। अशोक गहलोत ने हर विभाग में एक से बढ़कर एक योजनाएं दी हैं।
चार साल में जो बेहतरीन काम हुआ है, उसमें राजस्थान मॉडल स्टेट बनकर उभरा है। राजस्थान में सब कुछ अच्छा चल रहा है, फिर भी निर्णय हाईकमान को लेना है।
मेवाराम जैन बोले- जिस कारण से इस्तीफा दिया, वह कारण अब नहीं रहा, इसलिए वापस लिया
बाड़मेर से कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन ने कहा, इस्तीफा देने के लिए पहले जो कारण था अब वह कारण नहीं रहा है इसलिए मैंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। अब सब ठीक है।
स्पीकर के बंगले पर जाकर इन विधायकों और मंत्रियों ने वापस लिए इस्तीफे
स्पीकर सीपी जोशी के बंगले पर पहुंचकर 10 से ज्यादा विधायकों ने इस्तीफा वापस लिया। निर्दलीय संयम लोढ़ा सहित कई विधायकों ने विधानसभा पहुंचकर इस्तीफे वापस लिए। स्पीकर के घर मंत्री लालचंद कटारिया, मंत्री राजेन्द्र यादव
विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह, विधायक राजेन्द्र पारीक, विधायक मेवाराम जैन, विधायक नगराज मीणा, विधायक मनीषा पंवार, विधायक लाखन मीणा आदि शामिल हैं।
जलदाय मंत्री महेश जोशी ने सीधे तो नहीं लेकिन इशारों में कह दिया है कि जनता गहलोत के साथ है। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर जब कई तरह की चर्चाएं थीं, उस वक्त अशोक गहलोत ने कहा था- जनता की आवाज ईश्वर की आवाज होती है।
उस वक्त अशोक गहलोत ने इशारों में यह कहा था कि जनता उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। उस वक्त चर्चा सचिन पायलट की ज्यादा थी।
महेश जोशी ने एक बार फिर से गहलोत के उस बयान को दोहरा करके सियासी चर्चाओं को हवा दे दी है।
सत्ताधारी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र से लेकर हर चीज एक्सट्रीम लेवल पर देखने को मिल जाती है।
सत्ताधारी के पार्टी के नए प्रभारी ने जब वॉर रूम में सब नेताओं का मन टटोला तो कई तरह के युद्ध सामने आ गए। हारे हुए सांसद उम्मीदवारों की प्रभारी के साथ हुई बैठक में जोरदार घटना हुई।
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