ममता यादव।
बुंदेलखंड में किसी से नाराजगी हो या जवाब देना हो या सामने वाले को सस्पेंस में रखना हो तो वहाँ बोला जाता है रुक जाऔ हम बताहें तुमें। यही मूड मध्यप्रदेश विधानसभा में मतदाता का है। ये पहला चुनाव होगा जिसमें सब अनुमान आंकलन धरे रह जाने हैं। जिन्हें आप हल्के में ले रहे हैं असली खेल आखिर में उनके हाथ में हो सकता है।
ज्यादातर विधानसभाओं के दो फीडबैक हैं कांटे की टक्कर है या भाजपा क्लीन स्वीप। कांग्रेस के पक्ष में 130-35 सीटें जा सकती हैं। कांग्रेस को अगर कहीं की सीटों से नुकसान होगा तो उसकी भरपाई मालवा-निमाड़ से हो सकती है।
अगर कांग्रेस भाजपा दोनों बाउंड्री पर आकर रुके तो सरकार भाजपा बना ले जाएगी। मुफ्तखोर योजनाओं का लाभ जिन्हें मिला है वे यह कहने में नहीं हिचकते हम तो मरते दम तक भाजपा को वोट देंगे।
व्यापारी एकतरफा सरकार के खिलाफ है। बेरोजगारी के मुद्दे का आलम यह है कि जहां मूलभूत समस्याएं मुद्दा थीं वहां भी बेरोजगारी मुख्य मुद्दा बन गई है। भावान्तर का भंवर भी भाजपा को गोते खिलवायेगा इसमें शक नहीं है। मध्यम वर्ग नाराज है।
शिवराज सरकार के चौथी बार आने की पूरी सम्भावना होती अगर केंद्र की मोदी सरकार की नीतियां वाकई सबका साथ सबका विकास वाली होतीं। तो साहब भाजपा के साथ स्थिति यह है हारेंगे तो शिवराज हारे और जीते तो मोदी जी जीते। बाकी कांग्रेस को जनता की भाजपा से नाराजगी का फायदा मिलने वाला है इसकी पूरी संभावना है।
एक लाईन में ये चुनाव भाजपा वर्सेस जनता है मध्यप्रदेश में। क्योंकि आपके प्रदेश में विकल्प नहीं है। जो हैं वे दमदारी से अपनी पहुंच ही नहीं बना पाए।
बावजूद इसके अन्य पार्टियां 10-12 सीटें ला सकती हैं। जिन पार्टी समर्थकों ये रिपोर्ट बुरी लगे वे खुलकर गरियाने के लिये स्वतन्त्र हैं। मगर असल स्थिति यही है।
ग्राउंड रिपोर्ट निमाड़—मालवा से लौटकर
Comments