अरविंद तिवारी।
अपने 25 साल के पत्रकारिता के कैरियर में उत्तर प्रदेश की चुनावी सियासत से मुझे पहली बार रूबरू होने का मौका मिला। मेरे अजीज दोस्त और मध्यप्रदेश कॉडर के आईपीएस अफसर आईजी अंशुमान यादव की पत्नी श्रीमती किरण यादव कासगंज जिले की पटियाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। मजबूत पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि (पिता कुंवर देवेंद्रसिंह यादव, तीन बार विधायक और दो बार एटा संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं) के बावजूद किरण भाभी अपने एनजीओ अनुभूति के माध्यम से इस क्षेत्र में पिछले सात-आठ साल में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही समाजसेवा के जो काम किए गए हैं, उसकी बदौलत चुनाव को एक अलग कलेवर देने में सफल हुई हैं। धनबल और बाहुबल के दम पर ही उत्तर प्रदेश में चुनाव जीता जा सकता है, इसे झुठलाते हुए उन्होंने पटियाली के चुनाव को आम आदमी का चुनाव बना दिया है।
करीब साढ़े तीन लाख मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार ऐसा हुआ है कि उम्मीदवार के बजाय मतदाता खुद चुनाव लड़ रहे हैं और सुबह से शाम तक गली-मोहल्लों में घूमकर लोगों को यह बताने में लगे हैं कि क्यों हमें किरण यादव को वोट देना चाहिए। युवाओं और बुजुर्गों के साथ ही महिलाओं ने उनके पक्ष में मोर्चा संभाल रखा है। खुद किरण भाभी जनसंपर्क के दौरान दमदारी से अपनी बात रखती हैं और यह बताने में भी पीछे नहीं रहती हैं कि क्यों उन्हें चुनाव लडऩा पड़ रहा है। वे कहती हैं मैं बिना किसी पद के भी अभी तक आपके लिए काम कर रही थी, लेकिन अब यदि आपने मौका दिया तो पांच साल बाद आपको यह अहसास जरूर होगा कि आपका वोट सही जगह गया था।
सरकारी नौकरी में होने के कारण अंशुमान भाई आचार संहिता से बंधे हुए हैं और अभी चुनाव मैदान में उनकी कमी सबको खल रही है, लेकिन अपने एनजीओ के माध्यम से उन्होंने जो काम इस क्षेत्र में किए हैं, वही इस दौर में किरण भाभी की सबसे बड़ी पूंजी बन गए हैं। दिल्ली में पदस्थ रहते हुए अंशुमान भाई और भाभी का हर शनिवार और रविवार पटियाली क्षेत्र में ही बीतता था और बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा देने, उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने, कैरियर काउंसलिंग करने और स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से हजारों लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराके उन्होंने यहां मजबूत सामाजिक ताना-बाना बुना है। यहां के लोगों के सुख-दुख में वे हमेशा सहभागी रहे।
एक पुलिस अफसर होते हुए भी अंशुमान भाई कितने सहज और सरल हैं इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि चाहे पटियाली हो या गंज डूंडवारा या फिर सिढपुरा, यहां हर किसी के पास उनका टेलीफोन नंबर मौजूद है और हर व्यक्ति के लिए उनकी सहज उपलब्धता है। स्कूल और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके साथ पढ़े मित्रों की एक फौज, जिसमें एक से एक हुनरमंद और नौकरी-पेशा लोग शामिल हैं, किरण भाभी की मदद के लिए इन दिनों इस विधानसभा क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। इनमें से कई तो महीने-डेढ़ महीने से अपने परिवार के साथ यहां डटे हुए हैं।
अपने चार दिन के पटियाली प्रवास के दौरान मैंने पाया कि किरण भाभी ने इस क्षेत्र में कई मिथक तोड़े हैं। जहां आज तक कोई उम्मीदवार नहीं पहुंचा, वहां वे सीधी दस्तक दे रही हैं। उनके पास तगड़ा होमवर्क है। जहां भी वे जाती हैं, वहां के लोगों के नाम उनकी जुबां पर रटे हुए हैं। वहां की क्या जरूरत है, इसका उन्हें अंदाज है और यही कारण है कि जब उनका मतदाताओं से संवाद होता है तो उसमें एक अपनापन नजर आता है। वे यह कहने में भी पीछे नहीं रहती हैं कि न उनके पास पैसा है, न ही करने को झूठे वादे। अभी तक जो काम किया है, वह सबके सामने है। जनता में उनकी सीधी पहुंच के कारण ही उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के आधार पर अपनी रोटियां सेंकने वाले वोटों के कथित ठेकेदारों को कोई पूछ नहीं रहा है। वे जो अफवाहें फैलाते हैं उस पर कोई गौर ही नहीं करता है।
30 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस क्षेत्र में थे। पटियाली की एक सभा में उन्होंने जो नजारा देखा, उसके बाद वे यह कहने को मजबूर हो गए कि ऐसी सभा जिसमें सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे हों, मैंने अरसे बाद देखी है। किसी विधानसभा क्षेत्र में एक मुख्यमंत्री की चुनावी सभा में 35-40 हजार लोगों की मौजूदगी और उनके ढाई घंटे विलंब से आने के बावजूद अपनी जगह से न हिलना भी मेरे लिए बहुत चौंकाने वाला था।
मित्र होने के नाते मैं तो यही मान रहा हूं कि किरण भाभी चुनाव जीत रही हैं। उनकी जीत का अंतर भी अच्छा-खासा रहेगा, लेकिन इससे भी बढ़कर मेरे लिए खुशी की बात यह है कि मेरे मित्र और उनकी पत्नी ने इस चुनाव को एक अलग मोड़ पर ला खड़ा किया है। एक पत्रकार के नाते भी मेरा अनुभव उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर बहुत ही अलग रहा है, जिसे मैं किसी अन्य मौके पर आपसे शेयर करूंगा। फिलहाल बस इतना ही।
लेखक इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं यह आलेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।
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