राकेश दुबे।
14 दिन बाद दो अपह्रत मासूमों के शव फिरौती वसूलने के बाद मिले। जनता रोष में है, सरकार गाल बजा रही है। अब मामले को मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश में धकेलने की कोशिश की जा रही है, ये सरकार है।
रीवा के पुलिस महानिरीक्षक चंचल शेखर कुछ और ही कह रहे हैं, वे इस नृशंस हत्या कांड में हत्यारे के भाई का सम्बन्ध भाजपा और बजरंग दल से जोड़ रहे हैं, तो प्रतिपक्ष सरकार को क्यों कोस रहा है ?
प्रतिपक्ष की या सरकार की कोई और जवाबदारी समाज के प्रति शेष नहीं है ? दोनों अपनी जिम्मेदारी सिर्फ गाल बजाने तक मान बैठे हैं। धिक्कार है ऐसी व्यवस्था और ऐसे लोगों पर जिन्हें इस मामले में भी राजनीति ही नजर आ रही है।
मध्यप्रदेश के कानून मंत्री पी सी शर्मा ने मामला उत्तर प्रदेश का कह कर एक नया क़ानूनी ज्ञान दिया है। किसी और से इस्तीफा मांगना उनका अधिकार है तो उन्हें यह भी सोचना चाहिए की वे क्या कह रहे हैं ?
उनके नेता मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपहृत बच्चों की हत्या पर दुख व्यक्त किया। बच्चों के पिता ब्रजेश रावत से फोन पर बात कर सांत्वना दी है।
इन्हें कानून कौन समझाए कि “ जिस क्षेत्र में अपराध घटित होता है वही के पुलिस थाने की जिम्मेदारी विवेचना की होती है।”
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह फरमाते हैं कि शांति का टापू कहा जाने वाला मध्य प्रदेश दो महीने में ही अपराध का महाद्वीप बन गया।
भाजपा की झंडा लगी गाड़ी और बजरंग दल के कार्यकर्ता के बारे में भी कुछ खुलासा कीजिये। शक की सुई बुरी होती है।
विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश सरकार और प्रशासन चित्रकूट के अपहृत जुड़वा बालकों को अपहरणकर्त्ताओं से मुक्त कराने में 12 दिन बाद भी असफल हुए और अंततः उन स्कूली बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई।
लेकिन प्रदेश सरकार ट्रांसफरों में मस्त है, प्रशासनिक रिक्तता और अराजकता भीषण रूप से प्रदेश ने व्याप्त हो चुकी है। प्रदेश में दो उद्योग चल रहे हैं अपहरण और ट्रांसफर, सरकार चाहें तो इन दोनों उद्द्योगो की इन्वेस्टर समिट भी बुला सकती है। क्योंकि अशांति के इस माहौल में अब कोई उद्द्योगपति तो आने से रहा।
भार्गव जी आपके पास भी ट्विट करने से ज्यादा भी बहुत कुछ है, जनहित में इस्तेमाल कीजिये।
पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार की नाकामी बताते हए कहा है कि अगवा किए गए बच्चों को छुड़ाने में मध्य प्रदेश सरकार ने गंभीरता से प्रयास नहीं किए।
भूपेन्द्र सिंह की बात तो अब भी पुलिस मानती है। निंदा करने की जगह पहले कुछ कहा होता तो शायद बच्चे जिन्दा होते।
12 फरवरी को चित्रकूट में स्कूल बस से तेल कारोबारी के जुड़वां बेटों का अपहरण करने वाले बदमाशों ने फिरौती की रकम लेने के बाद भी निर्मम हत्या कर दी। दोनों के शव उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में मिले हैं।
छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं। नेता, पुलिस, पक्ष, प्रतिपक्ष सबको मालूम था फिरौती मांगी जा रही है, फिरौती दी जा रही है घटना को अंजाम देने वाले कौन है ? फिर ये लेतलाली क्यों इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
भाजपा कांग्रेस के दो महीनों को रो रही है और कांग्रेस 15 साल की भाजपा सरकार को कोस रही है। जनता त्रस्त है नेता मस्त है।
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