मल्हार मीडिया भोपाल।
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खरी-खरी बोलने के लिए जाने जाते हैं आज शुक्रवार 19 मई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ऐसा ही किया।
उन्होंने तमाम कार्यकर्ताओं के सामने ही संगठन को आईना दिखाया। मंच पर जब उन्होंने अपना संबोधन शुरु किया तो उनके भाषण के दौरान पूरे समय तालियां गूंजती रहीं।
दरअसल आज अपने संबोधन में कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं की दुखती रग पर हाथ रख दिया। उन्होंने राष्ट्रीय नेताओं, मुख्यमंत्री, मंत्री,सांसद,विधायक और कार्यकर्ताओं के सामने वो तमाम मुददे उठाए जिनसे भाजपा इन दिनों परहेज बरत रही है।
विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी की असल वजह बताते हुए मंत्रियों और जिला अध्यक्षों को खूब नसीहतें दीं और कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कुछ सुझाव भी दिए।
श्री विजयवर्गीय ने कहा प्रदेश में बड़े पैमाने नाराजगी है, कार्यकर्ता और नेता नाराज हैं, उनका दर्द कोई नहीं पूछ रहा है। उनकी पूछ परख नहीं हो रही है, उनकी उपेक्षा चुनावी साल में भारी पड़ सकती है।
इस दौरान विजयवर्गीय ने प्रभारी मंत्रियों को भी नहीं बख्शा, उन्होंने कहा प्रभारी मंत्री हवा की तरह जाते हैं,तूफान की तरह आते हैं।
विजयवर्गीय ने कहा कि प्रभारी मंत्री अपने जिलों हवा की तरह जाते हैं और तूफान की तरह वापस आ जाते हैं। वे कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते। जबकि प्रभारी मंत्रियों को हर दौरे में कार्यकर्ताओं के मिलने के लिए समय निश्चित करना चाहिए और हर बार अलग-अलग कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए।
विजयवर्गीय ने कहा कि आजकल के जिला अध्यक्षों में बहुत अकड़ है। वरिष्ठ नेताओं से मितना तो दूर उनके पास कोई आ जाए तो कुर्सी से भी नहीं उठते।
विजयवर्गीय ने कहा कि कर्नाटक की 37 विधानसभा सीटें हम इसी नाराजगी की वजह से हारे, इन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन बहुत कम रहा। प्रदेश में हमें इस नाराजगी को दूर करना पड़ेगा।
विजयवर्गीय ने नसीहत देते हुए कहा कि जिला अध्यक्षों को हर विधानसभा में नाराज कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं की सूची बनानी चाहिए।
इन नेताओं से जिला अध्यक्षों और प्रभारी मंत्रियों को मिलना चाहिए, एक व्यक्ति यदि दस वोट भी प्रभावित कर सकता है तो चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।
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