ममता यादव।
कितनी ही संसदीय परंपराएं तार-तार होती रही हैं लोकतंत्र के मंदिरों में।
असंसदीय स्थितियां बनती-घटती रही हैं सदनों में, आगे भी और बुरी तरह होती रहेंगी।
क्योंकि सदन में जो जाते हैं या भेजे जाते हैं अब वे जनता के प्रतिनिधी कम स्वहित प्रतिनिधी ज्यादा होते हैं।
लेकिन जो भी हुआ वह ऐतिहासिक था और लोकतंत्र व ससंदीय परंपराओं के विपरीत व शर्मसार करने वाला था।
उससे भी चार कदम आगे का घटनाक्रम आज घट गया! यह हालात बने या बनाए गए यह सवाल बाद का है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कल बुधवार को जो पजामा, कॉलर कांड हुआ। आज एक विधायक ने खुद ही अपना कुर्ता फाड़ा और हंगामा कर शुरू कर दिया।
पहली बार यह मौका आया कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्तापक्ष के ही विधायक उमाकांत शर्मा दोनों हाथ उपर उठाकर न्याय दो रक्षा करो की दुहाई देते हुए आसंदी के समक्ष लॉबी तक पहुंच गए।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा को कहा कि गृहमंत्री जी व्यवस्था नियंत्रण में नहीं है।
इधर से विपक्ष के विधायकों का हंगामा भी शुरू हो चुका था, कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो और अप्रत्याशित घटनाक्रम हो गया विपक्ष के आदिवासी विधायक आसंदी के पास चिल्लाते हुए गर्भगृह में पहुंचे और खुद का कुर्ता फाड़ लिया।
विधायक हीरा अलावा ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो मेढ़ा जमीन पर बैठ गए।
अब एक तरफ विपक्ष के विधायक मेढ़ा चिल्ला रहे थे तो दूसरी ओर सत्तापक्ष के सिरोंज विधायक शर्मा हाथ जोड़े अध्यक्ष की आसंदी को देखकर चिल्ला रहे थे।
दोनों की तरफ के विधायक हंगामा कर रहे थे और उधर आसंदी से अध्यक्ष एक के बाद एक सारे विधेयकों में हां की जीत करवाते जा रहे थे बिना चर्चा के।
इसी हंगामे के बीच साढ़े 9 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पेश होने के साथ ही पास भी हो गया।
सत्तापक्ष के विधायक कह रहे थे उन्हें जान का खतरा है रक्षा करें न्याय दें तो वहीं विपक्ष के विधायक कह रहे थे आदिवासी विधायक के अधिकारों का हनन हुआ है।
दिलचस्प बात यह है कि विपक्ष कागजों में तो पोषण आहार पर हंगामा करता दिखा लेकिन छाये रहे उनके विधायक पांचीलाल मेढ़ा।
जबकि आज भी अध्यक्ष ने उनके ही मामले में जांच आदि की जानकारी देते हुए बात शुरू की थी।
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