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पावस सत्र में पहली बार सबसे छोटी अवधि का बजट सेशन,सवाल होंगे ऑनलाइन

राज्य            Jul 05, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की 15 वीं विधानसभा का पावस सत्र 8 जुलाई से शुरू हो रहा है जो कि 26 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान सदन की 15 बैठकें होंगी। इस सत्र में राज्य सरकार बजट पेश करेगी। गौरतलब है कि यह अब तक का सबसे छोटा बजट सत्र होगा।

डेढ़ दशक बाद विपक्ष में आई भाजपा इस सत्र में कांग्रेस सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। इन्हीं में से एक मुद्दा राज्य सरकार के थोकबंद तबादलों का भी है। इसके अलावा, किसान कर्ज माफी, बढ़ते अपराध, कुपोषण व बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर भी विपक्ष सरकार को आड़े हाथों लेने की तैयारी कर रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में सरकार को घेरने के लिए भाजपा के अनके विधायकों ने तबादलों से जुड़े सवालों के जवाब राज्य शासन से मांगे हैं।

सूत्रों के अनुसार, ज्यादातर सवालों में तबादलों की सिफारिश करने वालों के नाम पूछे गए हैं। विपक्षी विधायकों ने अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़े सवाल भी उठाए हैं। इनमें पूछा गया है कि बीते छह माह में कितने संवर्ग के अधिकारियों को पदोन्नति दी गई।

गौरतलब है,कि इस अवधि में भाप्रसे के अधिकारियों को छोड़ अन्य किसी संवर्ग में पदोन्नति प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। इससे अन्य संवर्गों के अधिकारियों में आक्रोश व्याप्त है। बताया जाता है,कि एक विधायक ने तो विधायकों को निज सचिव रखने की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

वहीं विधायकों व मंत्रियों के निवास पर पदस्थ गैर लिपिकीय स्टॉफ व इनमें शिक्षा संवर्ग के अधिकारी,कर्मचारियों की जानकारी भी मांगी गई है।

सवालों में आला अधिकारियों की स्थानांतरण में तबादला बोर्ड की अनुशंसा , इन पर हुए व्यय, स्थानांतरण नीति, ट्रांसफर आदेश का पालन करने वाले अधिकारियों के नाम एवं माहवार किए गए तबादलों की जानकारी भी चाही गई है।


विपक्ष की मंशा सिफारिशों पर किए गए तबादलों पर सरकार को घेरने की है।

दरअसल, राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा वर्ष 1977 में जारी एक आदेश के मुताबिक, सिफारिश पर तबादले करना या करवाना लोक सेवा आचरण अधिनियम के खिलाफ है,जबकि राज्य में ज्यादातर तबादले सिफारिश के आधार पर ही किए गए हैं।

इन सवालों व प्राप्त उत्तर के आधार पर विपक्ष किए गए तबादलों को गैरकानूनी ठहराने का प्रयास करेगी।

राज्य सरकार फरवरी में साल की पहली तिमाही के लिए लेखानुदान ला चुकी है। इसके चलते इसे तकनीकी तौर पर बजट सत्र नहीं कहा जा सकता,लेकिन इस सत्र में कमलनाथ सरकार मौजूदा वित्तीय साल के शेष बचे नौ माह के लिए आम बजट पेश करेगी।

संसदीय कार्य विभाग ने शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए बजट सत्रों की बैठकों को देखते हुए 20 से 22 दिन बैठकों का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा था, लेकिन मुख्यमंत्री सचिवालय ने इसे 15 दिन कर दिया है।

दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में बजट सत्र 40 से 45 दिन का होता था। शिवराज सरकार के कार्यकाल में साल दर साल बजट सत्र की बैठकें घटती गईं।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा में दी जाने वाली ध्यानाकर्षण और शून्यकाल की सूचना अब ऑनलाइन होने जा रही है। विधायक अब घर बैठकर ही सदन को ये सूचना दे सकेंगे। यह व्यवस्था आठ जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से शुरू हो जाएगी।

वर्तमान में विधायकों को ये सूचनाएं विधानसभा सचिवालय में उपस्थित होकर लिखित रूप मेंं देना होती हैं। विधानसभा सचिवालय संदेशवाहक के हाथों इसे राज्य सरकार को भेजता है।

विधानसभा सचिवालय से मंत्रालय तक सूचनाएं पहुंचने में कई बार देरी के कारण उनके जवाब भी देरी से आते हैं।

अभी तक यह होता रहा है कि विधायक द्वारा ध्यानाकर्षण और शून्यकाल सहित अन्य सूचनाओं के माध्यम से मांगी गई जानकारी को विधानसभा सचिवालय सरकार को जवाब के लिए भेज देता है, लेकिन सचिवालय कार्य सूची का इंतजार करता रहता है।

कार्यसूची में विषय शामिल होने पर इसके जवाब सचिवालय को भेजे जाते हैं, अब ऐसा नहीं होगा। वर्तमान में विधायकों को लिखित प्रश्न पूछने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है।

इनपुट जनप्रचार से

 


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