उमरिया से सुरेंद्र त्रिपाठी।
उमरिया जिले में 65 वर्षीय वृद्ध को ग्रामीणों ने जादू टोने के शक में पीट–पीट कर गला दबा कर हत्या कर दी। बाद में शव को गाँव के ही किनारे बह रही नदी में रेत में गाड़ दिया। काफी मशक्कत के बाद हुआ खुलासा। गरीबी के चलते शव को मर्चुरी के पीछे दफनाया भाई ने। मोहल्ले के लोग देते थे मृतक को खाना। अब मृतक की विक्षिप्त पुत्री का देखभाल करने वाला नहीं है कोई, रहने को घर भी नहीं था मृतक के पास। ह्त्या का मुख्य कारण रहा रजक परिवार के 1 बर्षीय पुत्र की बीमारी से मौत।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के चंदिया थाने के ग्राम पथरहटा में रहने वाले 65 वर्षीय आदिवासी सुक्खू कोल निहायत ही गरीब था। असके पास रहने को घर भी नहीं था एक छोटे से बिना दरवाजा वाले कमरे में अपनी विक्षिप्त पुत्री के साथ रहता था।
बीते सोमवार को गाँव में विजयादशमी पर्व मनाया जा रहा था वहीँ आदिवासी मोहल्ले में माता दुर्गा की प्रतिमा रखी गई थी जिसके विसर्जन का कार्यक्रम चल रहा था। उसी दौरान ग्रामीण बुजुर्ग सुक्खू कोल की पिटाई करते हुए गाँव के किनारे से बह रही कथली नदी के पास ले जाकर गला दबा कर मार दिए और रेत में गड़ा कर चले आये। लेकिन इस बात को कोई भी बोलने को तैयार नही था।
जब गाँव में जाकर मृतक के पड़ोसी बेसाहू कोल से बात की गई तो बताया गया कि वो झाड़– फूंक नहीं करता था और कहीं भी चला जाता था उसकी विक्षिप्त पुत्री घूम–फिर कर आ जाती थी तो हम लोग व्यवस्था कर देते थे। वहीं जब मृतक के बड़े भाई भंगिया कोल ने बताया कि रविवार की शाम को शौच के लिए लोटा लेकर गया लेकिन नहीं लौटा तो हम दूसरे दिन चंदिया रिश्तेदार के यहाँ पता किया तो वहां भी नहीं आया था। फिर ग्राम बिजौरी गये तो वहां भी नही गया था। कुछ छोटे बच्चों ने बताया कि उसको मारते हुए गाँव तरफ ले गए हैं, फिर पुलिस हमको ले गई और शव की पहचान करवाई
इस बारे चंदिया टी आई अनूप सिंह ने बताया कि हमारे पास मृतक का बड़े भाई की शिकायत पर गुम इंसान कायम किया और जांच शुरू की तो जांच के दौरान कोई भी बताने को तैयार नहीं था कि क्या हुआ, उसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि उसको मार–पीट कर गला दबा कर उसकी ह्त्या कर दी गई है।
जांच के दौरान शव भी बरामद हुआ और आरोपी भी पकडे गए हैं। ग्राम पथरहटा की नदी में रेत में गड़ाया गया था, गांवों में अभी भी अन्धविश्वास फैला है और गाँव के जो पीड़ित पक्ष हैं उनके द्वारा ह्त्या की गई है। सुनील रजक के 1 साल का बच्चा था वो झाड़–फूंक में ठीक नहीं हुआ और बीमारी के कारण मौत हुई, और इन लोगों को संदेह था कि जादू – टोने की वजह से मौत हुई है यह मुख्य कारण है।
गाँव के ही बुजुर्ग संतोष समदरिया का कहना है कि सुक्खू का मामला झाड़–फूंक का था और लोगों ने उसकी ह्त्या कर दी, उसका कोई विवाद नहीं था। सोमवार को उसको मारकर नदी के किनारे गाड़ दिया। पुलिस को जानकारी मिली तो अपने संज्ञान में ले ली और वो कोई झाड़– फूंक नहीं करता था हाँ लोग उसको टोनहा समझते थे लेकिन सुक्खू ऐसा नहीं था, उसके परिवार की स्थिति बहुत दयनीय है। उसका कोई नहीं है एक विक्षिप्त बेटी है।
अनूप सिंह टी आई ने बताया कि इसमें रज्जन कोल, उसका भाई सज्जन कोल, सुनील रजक, सोनू कोल, सुन्दर गोंड, नहे लाल और गोकुल वगैरह हैं, वहीँ बताये कि इसको लाठी–डंडे और गला दबा कर मारा गया है। लोगों का मानना है अन्धविश्वास की वजह से ये जादू–टोना करता है इसके कारण थाने में सूचना देना उचित नहीं समझा और उसको गोपनीय तरीके से दबाये रखा।
गौरतलब है कि उमरिया जिले में एक सप्ताह में अंधविश्वास के चलते दूसरी ह्त्या हो गई। इन हत्याओं ने प्रदेश सरकार की कलई खोल दी है। साक्षरता के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं यदि यही स्थिति रही तो कई निर्दोष जादू–टोना के नाम पर बली चढते रहेंगे और सरकार झूठे दावे करती रहेगी।
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