मल्हार मीडिया ब्यूरो खजुराहों।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब कांग्रेसी नेताओं को ऑफर दिया है कि वे उनकी पार्टी में आयें और टिकट पायें। इस बीच यह भी साफ हो गया है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सपा के साथ मिलकर चुनाव नही लड़ेगी।
मध्यप्रदेश में फिलहाल जो स्थिति बन रही है उससे ऐसा लग रहा है कि सभी क्षेत्रीय दल कांग्रेस पर दवाब बनाने की कोशिश में लगे हैं। पहले बसपा ने अपना अलग रास्ता पकड़ा।
फिर अखिलेश यादव ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मंच पर जाकर उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात की।आज गोंगपा ने भी अपनी अलग ढपली बजायी। अब वह अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। कुल मिलाकर चारो ओर से दवाब कांग्रेस पर ही डाला जा रहा है।
अखिलेश आज मध्यप्रदेश में थे, उन्होंने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे खजुराहो में अपने नेताओं के साथ बैठक की। बाद में मीडिया से कहा कि मध्यप्रदेश में उनकी पार्टी चौथे नम्बर की पार्टी है।एक जमाने में उनके सात विधायक जीते थे।
उन्होंने कहा कि मैं तो कांग्रेसी नेताओं से कहूंगा कि अगर टिकट नही मिलता तो पंजा छोड़ कर साइकिल पर बैठो।हमारे टिकट पर चुनाव लड़ो।
उधर गोंगपा ने भी आज ऐलान कर दिया कि वह अब अकेले ही चुनाव लड़ेगी।उसने यह माना है कि कांग्रेस से उनकी बात चल रही थी।लेकिन टिकटों की संख्या पर सहमति नही बन पाई।
बसपा पहले ही अपनी अलग राह पकड़ चुकी है। ऐसे में अब कांग्रेस को गैर भाजपाई वोट एकजुट करने की कोशिश छोड़ कर अपने दम पर ही लड़ना होगा। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इसका संकेत भी दे चुके हैं।
जहाँ तक अखिलेश का सवाल है वह पूरी तरह दवाब की राजनीति खेल रहे हैं। यह सब इसलिए क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में अपनी साइकिल को पंजे के ऊपर रखना चाहते हैं।
आज मध्यप्रदेश में न तो उनकी कोई हैसियत है और न ही उनके पास कोई नेता है।पहले जो 6 टिकट उन्होंने घोषित किये उनमें से एक ने वापस कर दिया।
सचाई यह है कि अखिलेश मध्यप्रदेश में 230 प्रत्याशी खड़े करने की स्थिति में नही हैं। न उनका संगठन है और न जनाधार। पिछले 20 साल से समाजवादी पार्टी मध्यप्रदेश में पांव जमाने की कोशिश कर रही है लेकिन आज तक एक प्रभावी नेता नही खोज पायी।
यही वजह है कि कांग्रेस के नेताओं को लालच दे रहे हैं। लेकिन उन्हें सफलता मिलेगी इसमें संदेह है। पिछली बार जब वह भोपाल आये थे तब कांग्रेस के नेताओं से ही मिले थे।तब भी वह पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को ऑफर देकर गए थे।लेकिन नाराजगी के बाद भी अरुण यादव कांग्रेस में ही हैं।ऐसा लग नही रहा है कि कांग्रेसी अखिलेश की साइकिल पर बैठेंगे।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं यह खबर उनके फेसबुक वॉल से ली गई है।
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