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क्रिकेट तो एक ही है मगर पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की फीस ?

स्पोर्टस            Oct 06, 2022


ओम प्रकाश।

भारत की सीनियर अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर को मैच फीस के रूप में 20 हजार रुपये दिए जाते हैं।

ये धनराशि देश के अंडर-19 पुरुष क्रिकेटर की मैच फीस के बराबर है।

2022 से पहले महिला क्रिकेटरों को मैच फीस के तहत सिर्फ 12,500 रुपये दिए जाते थे।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने प्रदर्शन के आधार पर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पुरुष क्रिकेटरों को A+, A, B,और C ग्रेड में बांटा है।

बीसीसीआई A+ ग्रेड में शामिल पुरुष क्रिकेटरों को 7 करोड़, A ग्रेड में शामिल खिलाड़ियों को 5 करोड़, B ग्रेड वाले क्रिकेटरों को 3 करोड़ और C कैटेगरी के तहत आने वाले खिलाड़ियों को सलाना 1 करोड़ रुपये देता है।

इसमें प्लेयर ऑफ द मैच, प्लेयर ऑफ द सीरीज, 1 मैच में 5 विकेट, 1 मैच में 10 विकेट, शतक, और दोहरा शतक लगाने पर मिलने वाली पुरस्कार की राशि शामिल नहीं है।

टेस्ट और वनडे में शतक लगाने पर 5 लाख, टेस्ट में डबल सेंचुरी लगाने पर 7 लाख रुपये का ईनाम दिया जाता है।

इसी तरह टेस्ट, वनडे और टी20 मैच में 5 विकेट लेने पर 5 लाख रुपये दिए जाते हैं।

वहीं अगर कोई बॉलर टेस्ट मैच में 10 विकेट लेता है तो उसे 7 लाख रुपये का ईनाम दिया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस तरह का करिश्मा करने पर पुरुष और महिला क्रिकेटरों को बराबर धनराशि दी जाती है।

बीसीसीआई ने परफॉर्मेंस के आधार पर अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटरों को A, B, और C ग्रेड में बांटा है।

A ग्रेड की खिलाड़ियों को 50 लाख, B ग्रेड की क्रिकेटरों को 30 लाख और C ग्रेड में शामिल खिलाड़ियों को 10 लाख रुपये सालाना बीसीसीआई की तरफ से दिए जाते हैं।

पुरुष क्रिकेटरों को टेस्ट मैच के लिए 15 लाख, वनडे के लिए 6 लाख और टी-20 मैच के लिए 3 लाख रुपये दिए जाते हैं।

जबकि महिला खिलाड़ियों को प्रतिदिन मैच के हिसाब से 20 हजार रुपये दिए जाते हैं. पुरुष क्रिकेटरों को जहां एक टी-20 इंटरनेशनल मैच के लिए 3 लाख रुपये मिलते हैं वहीं महिला क्रिकेटरों को एक टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए सिर्फ 20 हजार रुपये मिलते हैं।

अब समझिए भारत में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष क्रिकेटरों को कितना ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है।

पूरी दुनिया में साउथ अफ्रीका एक ऐसा क्रिकेट बोर्ड है जो अपनी महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फीस देता है।

 काश! बीसीसीआई भी क्रिकेट में साउथ अफ्रीका जैसी नीतियां लागू करने की हिम्मत दिखाता।

 

 



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