मल्हार मीडिया ब्यूरो सीहोर।
मध्यप्रदेश सीहोर में एक साल पहले बड़ी बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी थी और अब छोटी बेटी ने मां को मुखाग्नि देकर अपना फर्ज पूरा किया।
दो साल के छोटे से अंतराल में माँ बाप का साया सर से उठ जाना अपने आप में अपूर्णीय क्षति है। उस पर भी भाई के नहीं होने से अंतिम संस्कार का बेटियों द्वारा किये जाने की हिम्मत जुटाना भी कलेजे का काम है। बेटों से ज्यादा आशा पालने वालों के लिए ये बेटियाँ सबक भी हैं और बेटे बेटी के अंतराल को पाटने का उदाहरण भी। बेटियां हर मोर्चे पर बेटों से बेहतर साबित हो रही हैं। ऐसे कई मोर्चों में धार्मिक मान्यता से कुल में पानी देने वाले के होने के चक्कर में कई बेटियां अजन्मी रह गयी हैं।
ऐसे लोगो के लिए सबक और उदाहरण बन कर आई है नीता बैरागी। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के मंडी क्षेत्र में दुर्गा मंदिर की पूजा करने वाले हरिदास बैरागी का निधन दो साल पहले बीमारी के कारण हुआ था। तब उनकी बड़ी बेटी प्रियंका बैरागी ने उन्हें मुखाग्नि दी थी।
अब लगभग दो साल बाद स्वर्गीय हरिदास की पत्नी कांता देवी का निधन भी बीमारी के कारण हो गया। बड़ी बेटी चूंकि प्रसूता स्थिति में होकर अस्पताल में भर्ती है। इस कारण काँता देवी के अंतिम संस्कार के समय छोटी बेटी नीता बैरागी ने अपनी माता को मुखाग्नि देकर बेटे होने का फर्ज निभाया।
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