जयशंकर गुप्त।
नारी के सम्मान में, भाजपा मैदान में'। यह नारा बहुत पुराना नहीं हुआ होगा। उत्तरप्रदेश के भाजपाई इसे जमकर 'चरितार्थ' कर रहे हैं। गोरखपुर में एक जांबाज महिला पुलिस अधिकारी चारु निगम के साथ, भाजपा के स्थानीय विधायक राधामोहन दास अग्रवाल ने जिस 'बहादुरी' का परिचय दिया, वह शर्मनाक तो है लेकिन इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है।
ईमानदार और कर्मठ पुलिस अधिकारियों को उनकी औकात बताने के लिए उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। भाजपा के नेताओं, सांसदों, विधायकों और गुंडों-अपराधियों के बीच फर्क करना मुश्किल होते जा रहा है। कोई ऐक्शन नहीं हो रहा। हो भी रहा है तो पीड़ित के ही विरुद्ध!
आश्चर्य और क्षोभ तो मीडिया और बुद्धिजीवियों की भूमिका पर हो रहा है। अगर इसी तरह की घटनाएं, अखिलेश अथवा मायावती के शासनकाल में होती, होती भी थीं, तब मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवियों की भूमिका क्या होती।
उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में हत्या, लूट और बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। सभी घटनाओं के विवरण सामने नहीं आ रहे, लेकिन जितने भी आ रहे हैं उनसे यही लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में कानून का नहीं बल्कि गुंडों-अपराधियों का राज आ गया है। अब आप इसे 'राम राज्य' कहें या 'जंगल राज', यह आपकी मर्जी।
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