मल्हार मीडिया इंदौर/भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बहुचर्चित हाईप्रोफाइल शहला मसूद हत्याकांड में आज शनिवार को इंदौर की सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। फैसले में सरकारी गवाह को छोड़कर सभी आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। गौरतलब है कि अगस्त 2011 में भोपाल में शहला मसूद की उनके घर के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। फैसले में सरकारी गवाह इरफान को छोडक़र शेष चारों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
सीबीआई ने इस हत्याकांड को अंजाम देने तथा षड्यंत्र के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। प्रदेश के इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड की अंतिम सुनवाई विशेष न्यायाधीश बीके पालौदा की अदालत में हुई। अदालत ने 19 से 25 जनवरी के मध्य सभी पाचों आरोपियों और CBI को अपने अंतिम तर्क रखने के आदेश दिए थे, उसके बाद 28 को फैसला देना तय किया था। जो अब दिया जा चुका है।
शनिवार को लंच से पहले मर्डर केस पर फैसला सुनाया गया। शहला मसूद की हत्या में CBI ने जाहिदा परवेज, सबा फारुकी, सुपारी किलर शाकिब डेंजर, ताबिश तथा इरफान को आरोपी बनाया था। पांचों आरोपियों पर भारतीय दंड विधान की धारा 302, 120, 201 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसमें से इरफान को छोड़कर शेष चारों को उम्र कैद की सजा दी गई है।
गौरतलब है कि आरोपियों को सीबीआई ने फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया था। तभी से सभी आरोपित जेल में हैं। सीबीआई अदालत के अलावा हाई कोर्ट से भी इन्हें जमानत नहीं मिली। जाहिदा तथा सबा की कई बार जेल बदली जा चुकी है। सीबीआई के कहने पर आरोपी इरफान सरकारी गवाह बन गया था और उसने अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि ताबिश तथा शाकिब ने ही शहला मसूद को गोली मर हत्या कर दी थी।
ऐसे चला पूरा केस
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक जाहिदा,ध्रुवनारायण सिंह के लिए इतनी पागल थी कि उसने ध्रुव और शेहला की नजदीकियों से आहत होकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया। शुरुआती जांच में ध्रुवनारायण सिंह से भी पूछताछ की गई। उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी हुआ,लेकिन जांच में ध्रुव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। 137 तारीखों की सुनवाई में सीबीआई ने 83 गवाह पेश किए। फिलहाल सीबीआई द्वारा गिरफ्तार पांचों आरोपी जेल में हैं।
-जाहिदा के बार-बार मना करने के बाद भी जब ध्रुव,शेहला से अलग नहीं हुए तो जाहिदा ने तय कर लिया था कि वो शेहला को खत्म कर देगी। यहां से शुरू होती है शेहला की हत्या की कहानी। इसका जिक्र जाहिदा की डायरी में भी है।
-जाहिदा ने शाकिब डेंजर को शेहला की हत्या का अपना इरादा बताया। शाकिब ने कानपुर के इरफान व ताबिश से संपर्क कर हत्या का सौदा तय किया।
-शाकिब ने ही इरफान और ताबिश को शेहला की हत्या के लिए पल्सर बाइक औैर देशी कट्टा उपलब्ध कराया। साथ ही दो दिन तक शेहला के घर की रैकी भी करवाई।
-शेहला को मारने की पहला कोशिश 14 अगस्त 2011 को हुई,लेकिन शेहला को गोली मारने पहुंचे इरफान और ताबिश बिना गोली चलाए ही लौट आए।
-16 अगस्त 2011 को शेहला अपने घर से ऑफिस जाने के लिए जैसे ही कार में सवार हुई,उसे इरफान और ताबिश ने देशी कट्टे से गोली मार दी। गोली सीधे सेहला की कनपटी पर लगी और शेहला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
-भोपाल पुलिस को शुरुआती जांच में कुछ भी हाथ नहीं लगा। मामला बढ़ा तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
-छह महीने तक अलग-अलग बिंदुओं पर जांच करने का बाद 28 फरवरी 2012 को इस केस में पहली गिरफ्तारी हुई जाहिदा परवेज की। जाहिदा ने बताया उसने शेहला की हत्या के लिए शाकिब से शूटर बुलवाए थे। शाकिब को भी इसी दिन गिरफ्तार किया गया।
-पूछताछ में जाहिदा ने बताया कि इस हत्या का षड़यंत्र मैंने अपनी कर्मचारी व दोस्त सबा फारूखी के साथ मिलकर रचा था। 2 मार्च को सीबीआई ने सबा को भी गिरफ्तार कर लिया।
-शाकिब से हुई पूछताछ के बाद सीबीआई ने 9 मार्च 2012 को इरफान को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया। उसी दिन ताबिश को भी भोपाल में गिरफ्तार कर लिया गया।
-जाहिदा व अन्य आरोपियों से हुई पूछताछ के बाद सीबीआई ने हत्याकांड में एक के बाद एक कड़ियां जोड़ना शुरू किया। वो बाइक और देशी कट्टा भी बरामद करने का दावा किया जिससे शेहला की हत्या की गई थी।
-25 मई 2012 को सीबीआई ने 4400 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी।
-21 जुलाई 2012 को सीबीआई कोर्ट में आरोपियों पर आरोप तय किए गए। 137 सुनवाई में सीबीआई ने 83 गवाह पेश किए। अब फैसले के लिए 28 जनवरी की तारीख तय।
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