मल्हार मीडिया ब्यूरो वरधा।
महाराष्ट्र के वरधा में स्थित महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में एमफिल की छात्रा के सााथ यौन शोषण का मामला सामने आया है। पीड़िता महिला प्रकोष्ठ से लेकर हर जगह गुहार लगा चुकी है मगर उसकी कोई सुनने तैयार नहीं है न ही आरोपी पर कार्रवाई की जा रही है। इतना ही नहीं उसपर केस वापस लेने के लिये दबाव बनाया जा रहा है।
मामला वरधा यूनिवर्सिटी का है जहां पिछले माह होली के दौरान एमफिल की एक छात्रा के साथ सार्वजनिक तौर पर पीएचडी शोधार्थी ने बदतमीजी की। छात्रा विश्वविद्यालय प्रशासन से महिला प्रकोष्ठ तक एक महीने से दौड़ती रही मगर कोई सुनवाई नहीं हुई उलटा उस पर मामला वापस लेने का दबाव बनाया जाता रहा। इतना ही नहीं इस दौरान आरोपी को पीएचडी भी अवार्ड कर दी गई। अब इस मामले के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर वर्धा यूनिवर्सिटी के छात्र कल रात से धरने पर हैं जिन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी जा रही है।
मल्हार मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार पीड़िता का आरोप है कि एक माह पूर्व 13 मार्च होली के दौरान पीएचडी शोधार्थी संजीव कुमार झा के द्वारा एमफिल की शोधार्थी गीता (काल्पनिक नाम) के साथ सार्वजनिक स्थल पर यौन-दुर्वय्वहार किया गया। पीड़िता पिछले एक महीने से न्याय के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाती रही है। इसकी शिकायत उसने महिला प्रकोष्ठ में भी की, लेकिन आरोपी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। पीड़िता को प्रशासनिक अधिकारियों ने यह कह कर इधर-उधर दौड़ाया कि यह केस मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। तरह-तरह से पीडिता को परेशान करने की कोशिश की गई और उस पर यह दबाव भी बनाया गया कि वह अपनी शिकायत को वापस ले ले।
विश्वविद्यालय प्रशासन और महिला प्रकोष्ठ को की कई शिकायत में पीड़िता ने बताया है कि उस दौरान संजीव कुमार ने उसे जबरन अपनी तरफ खींचने की कोशिश की और उसके हाथ को चूमा। जिससे उसे अपमानित महसूस हुआ।
दूसरी ओर आरोपी द्वारा भी पीडिता को धमकाया गया लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया। आरोपी अपने साथियों के साथ 17 अप्रैल को प्रशासनिक भवन पर भारी संख्या में पहुंचा और सम्बंधित अधिकारियों से मिल कर जाँच को प्रभावित करने की कोशिश की। आरोपी की इन सब गतिविधियों से परेशान होकर पीडिता ने धरने पर बैठने का निर्णय लिया। पीडिता 09 बजे रात महिला छात्रावास के सामने धरने पर बैठी और उसका साथ देने के लिए भारी संख्या में विद्यार्थी उसके साथ आए।
पीडिता से बात करने के लिए चीफ प्रॉक्टर गोपाल कृष्ण ठाकुर, कुलसचिव कादर नवाज खान, उप-कुलानुशासक चित्रा माली और महिला छात्रावास की वार्डन अवंतिका शुक्ला आई। पीड़िता पक्ष से अभी बात ही हो रही थी कि आरोपी पक्ष भी लगभग 50 छात्रों के साथ महिला छात्रावास आ पहुंचा। यह एक तरह से बलपूर्वक पीड़िता को डरा कर धरना प्रदर्शन से उठाने की कोशिश थी।
शर्म की बात यह है कि यह सब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों के सामने हुआ।अधिकारियों ने संजीव झा और उनके साथियों को समझा बुझा कर वापस भेज दिया और पीडिता पर भी दबाव बनाया गया कि वह अपना धरना समाप्त करे और कल ऑफिस आकर बात करे। पीडिता ने यह कहते हुए उठने से मना कर दिया कि वह पिछले एक महीने से ऑफिस में बात कर-कर के परेशान हो चुकी है।
पूरी रात पीडिता और साथी, महिला छात्रावास के सामने धरने पर बैठे रहे। ध्यान देने की बात यह है कि आरोपी संजीव कुमार पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं और वह उनमे दोषी भी पाया गया है। लेकिन हर बार उसे मामूली चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। इस केस में भी आरोपी को प्रशासन द्वारा बचाने की कोशिश की जा रही है। यह इसलिए भी साफ है क्योंकि इस मामले में भी अभी तक प्रथम दृष्टया विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इन सब को ध्यान में रखकर पीड़िता ने मांग की है कि आरोपी संजीव कुमार को तत्काल हॉस्टल से एवं विश्वविद्यालय परिसर से निलंबित किया जाये जिससे कि वह पीडिता और गवाहों को प्रभावित न कर सके।
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन की आरोपी के प्रति पक्षधरता इस बात से भी उजागर होती है कि जाँच-प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही उसकी पीएचडी थीसिस जमा करा ली गई। जबकि जाँच-प्रक्रिया के दौरान आरोपी की अकादमिक गतिविधियों पर हर किस्म की रोक लगाने का नियम है। इसलिए पीड़िता ने यह भी मांग रखी है कि जब तक मामले की जाँच पूरी न हो, तब तक आरोपी की अकादमिक गतिविधियों को भी निलंबित किया जाये। रात 09.00 बजे से सुबह तक सभी छात्र—छात्राएं महिला छात्रावास के बाहर धरने पर बैठे रहे और अब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में सुबह से बैठे हैं पर उनकी सुनने की जगह कुलपति के द्वारा धमकाया जा जा है कि तुम सभी के खिलाफ अब अनुशासनहीनता की कार्यवाही की जाएगी क्यों कि आप सभी ने नियमों को तोड़ प्रदर्शन किया है।
समाचार मल्हार मीडिया को मिले मेल के आधार पर।
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