मल्हार मीडिया भोपाल।
‘पहली तारीख़’ कार्यक्रम एक मासिक कला और संवाद उत्सव है, जो श्रोताओं को कला, साहित्य और संगीत के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करता है। इस बार कार्यक्रम में रितेश गोहिया और उनकी टीम के सदस्यों धर्मेंद्र और यशवंत, टिमरनी (हरदा) से आए ।
उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर प्रेरक और चिंतनशील गीत प्रस्तुत किए।
रितेश गोहिया ने अपने गायन से कार्यक्रम में आत्मिक ऊर्जा भर दी। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रमुख गीतों में "जो सुख पायो राम भजन में," "बात थमेगी तो बाते बनेगी," और "छोटी-छोटी बातों पे लड़ते हैं क्या भला" शामिल थे। इन गीतों ने श्रोताओं को प्रेम, शांति और सहनशीलता के महत्व को गहराई से समझाया।
गानों के बीच संवाद में यह बात उभरी कि हमारे शब्द कितने अनमोल हो सकते हैं और कैसे कभी-कभी वे जहर की तरह भी असर कर सकते हैं। "बातों बातों में है क्या कह जाते हैं हमारे शब्द," इस विचार ने सभी को यह सोचने पर मजबूर किया कि शब्दों की शक्ति को समझना और उन्हें सकारात्मक रूप में इस्तेमाल करना कितना आवश्यक है।
कार्यक्रम में आगे यशवंत द्वारा गाया गया कबीर का भजन "साधो ये मुर्दों का गांव" और मधु धुर्वे द्वारा दिवंगत थिएटर कलाकार रवि सांगडे का कंपोज किया हुआ गीत "मन न रंगाया" प्रस्तुत किया गया, जिसने श्रोताओं को गहरे विचारों में डुबो दिया।
साथ ही उपासना जी ने अपनी कहानी सुनाई अंगूर मीठे है ।
‘पहली तारीख़’ का उद्देश्य कला और संवाद को एक साथ लाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। हम सभी कला प्रेमियों, संगीतकारों और विचारशील व्यक्तियों को इस कार्यक्रम में जुड़ने और अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
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