मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 13 प्रतिशत रिजल्ट होल्ड पर रखने के चलते हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने एमपीपीएसी को फटकार लगाई है.
जस्टिस राजमोहन सिंह और जस्टिस देवनारायण मिश्रा ने 13 फीसदी होल्ड रिजल्ट को लेकर सख्त कदम उठाते हुए आयोग को साफ आदेश देते हुए कहा कि दो सप्ताह में रिजल्ट सूची जारी करे.
गौरतलब है कि कोर्ट ने चार अप्रैल के आर्डर में 13 फीसदी होल्ड रिजल्ट की सार्वजनिक करने की बात कही थी. जिसका पालन नहीं करने पर अब कोर्ट ने आयोग पर 50 हजार की कास्ट लगाई है.
एमपीपीएससी 2019 की कुछ महिला उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि अभी तक उन्हें 13 फीसदी रिजल्ट का पता नहीं चला. इस पर चार अप्रैल को ही हाईकोर्ट की डबल बैंच ने मप्र सरकार और एमपीपीससी को आदेश दिए थे.
जिसमें 13 फीसदी रिजल्ट जारी करने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद भी आयोग ने इसका पालन नहीं किया. अब आज हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील अंशुमन सिंह ने चार अप्रैल का आर्डर दिखाते हुए अपनी बात रखी. इस पर हाईकोर्ट की बेचं ने सरकार से सवाल किया तो शासन के पास जवाब नहीं था.
हाईकोर्ट की बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शासन का यह रवैया ठीक नहीं ये स्थिति दयनीय है. इसके बाद बैंच ने शासन पर 50 हजार की कास्ट लगाने का आदेश दिए. हाईकोर्ट ने चार अप्रैल के आर्डर के पालन में देरी के लिए ये कास्ट लगाई है. इसके बाद बैंच ने ऑर्डर का पालन करने के लिए दो सप्ताह में कदम उठाने के आदेश दिए.
मप्र शासन ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था.हालांकि यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो 14 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने पर कोर्ट ने रोक लगा दी. जिसपर शासन ने तोड़ निकाला कि उन्होंने 87-13 फीसदी फार्मूला लागू कर दिया और ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी के हिसाब से 87 फीसदी का रिजल्ट जारी किया और 13 फीसदी पद ओबीसी और अनारक्षित को देने के लिए अलग रखे.
सरकार ने कहा कि जब ओबीसी आरक्षण पर अंतिम फैसला होगा, तब यह रिजल्ट जारी होगा. यानी यदि ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी हुआ तो यह 13 फीसदी पद उनके कोटे से अनारक्षित के कोटे में चले जाएंगे. लेकिन इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं है.
इसके बाद से 2020, 2021 के भी अंतिम रिजल्ट भी जारी हुए. लेकिन वो भी 13 फीसदी पद रोककर ही जारी हुए हैं. आयोग ने यही राज्य सेवा के साथ राज्य वन सेवा और पीएससी के अन्य सभी भर्ती परीक्षा में लागू किया है.
13 फीसदी कैंडिडेट्स को यह नहीं पता की उनके नंबर कितने हैं. अब कोर्ट को फैसला किसके पक्ष में जाएगा जिसके बाद वह मेरिट के आधार पर चयन सूची में शामिल होंगे या नहीं इसका पता चलेगा. जिसके चलते वह दोबार परीक्षा देने और अपने दूसरे लक्ष्य को लेकर असमंजस में हैं. साल 2019, 2020, 2021 किसी भी परीक्षा की मैंस देने वालों को अपनी कॉपियां देखने को नहीं मिल रही हैं और ना ही अंक पता है. इन 13 फीसदी लोगों में कुल 35 हजार से ज्यादा उम्मीदवार उलझे हुए हैं.
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