मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्य प्रदेश के इंदौर से एक बड़ी खबर सामने आई है। आज सोमवार 5 फरवरी को मप्र लोक सेवा आयोग की कथित मनमानी के खिलाफ अभ्यर्थियों ने मोर्चा खोल दिया। उन्होंने दफ्तर का घेराव करते हुए तानाशाही के आरोप लगाए।
उनका कहना है कि आयोग अड़ियल रवैया अपना रहा है।
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि मप्र में 45 लाख लोग बेरोजगार हैं। चुनाव के पहले सरकार कहती है कि मोदी की गारंटी है और हम ढाई लाख सरकारी पदों को भरेंगे।
इसके बाद मप्र सरकार 60 पदों के लिए विज्ञापन जारी करती है। यह बेरोजगारों के साथ मजाक है। यह सरकार डबल इंजन सरकार की बात करती हैं लेकिन बेरोजगारों की समस्या नहीं समझी जाती। हमारी मांग है कि 2024 में 500 पद किए जाएं। 13% का परिणाम अभी जो जारी नहीं किया गया है, उसे जारी किया जाए।
यह हमारी करो या मरो की लड़ाई है। यदि सुनवाई नहीं हुई तो हम भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। छह घंटे से ज्यादा से प्रदर्शन जारी है। इस बीच रात करीब 8 बजे छात्रों को पीएससी दफ्तर के बाहर से हटाने के लिए मौके पर पुलिस बल पहुंच गया है।
दोपहर को काफी संख्या में स्टूडेंट्स आयोग के ऑफिस पहुंचे। तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। आकाश बादल ने बताया 2023 की प्री परीक्षा के परिणाम के बाद सिर्फ 45 दिनों का समय क्यों दिया जा रहा है। इसके पहले 2019, 2020, 2021 और 2022 की परीक्षा में छह से आठ माह का समय दिया गया था। इस बार इतने कम समय में कैसी तैयारी करें। हमें कम से कम तीन माह का समय तैयारियों के लिए दिया जाए।
प्रदर्शनकारी छात्रों यह भी मांग की कि मुख्य परीक्षा की कॉपियां जो 2018 तक दिखाई जाती थी, वह फिर से दिखाई जाएं। बबीता चौहान ने कहा कि इतने कम समय में सिलेबस पूरा नहीं हो सकता। कई अभ्यर्थियों का आखिरी अटेम्प्ट है। फिर वे दायरे से बाहर हो जाएंगे। शासन-प्रशासन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। स्टूडेंट्स ने मांग की कि जब तक आयोग के चेयरमैन खुद आकर संवाद नहीं करते, विरोध जारी रहेगा।
Comments