मल्हार मीडिया ब्यूरो।
UGC के notification2016 के खिलाफ आज दूसरे दिन भी महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में विरोध जारी रहा जिसमे पिछले दिनों के विरोध प्रदर्शनों की तुलना में ज्यादा विद्यार्थी शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन में सामान्य विद्यार्थीयो की बड़ी संख्या में भागीदारी यह संकेत करता है कि विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर सजग है। उन्हें यह पता है कि इस तरह के UGC के एक तरफ़ा निर्णयों के कारण उनके शोध करने की संभावनाए लगभग समाप्त हो जायेंगी
विरोध प्रदर्शनों के क्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राए हिंदी विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एकत्रित हुए और सरकार तथा UGC के शिक्षा विरोधी रवैये को लेकर अपना आक्रोश प्रकट किया तथा विरोध स्वरुप ugc का पुतला फूंका। इस प्रदर्शन में शामिल विद्यार्थियों ने सरकार और UGC के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इस निर्णय पर अपने विचार भी रखे। छात्र नेता मेघा ने कहा कि UGC के इस निर्णय के कारण शोध की संभावनाए तो ख़त्म होंगी ही साथ ही साथ महिलाओ और वंचित तबके से आने वाले विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के रास्ते बंद हो जायेंगे। इसी क्रम में गोविन्द ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इसके पीछे भारत को पुनः मध्य युग में ले जाने की साजिश रची जा रही है जिससे कि सोचने समझने वालो की संख्या कम हो और राजसत्ता से सवाल करने वाला कोई न हो।
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अरविन्द यादव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि UGC को शिक्षा विरोधी यह निर्णय वापस लेना पड़ेगा तथा शोध कि गुणवत्ता बढ़ाने के लिए UGC को चाहिए कि संविदा पर रखे गये शिक्षको को स्थाई करे तथा शिक्षकों की नयी नियुक्ति करे। आन्दोलन के प्रति विद्यार्थियों ने अपनी एकता को जाहिर करते हुए कहा कि जब 4 मई 2016 के notification को UGC वापस ले सकती है जो कि शिक्षको के वर्कलोड के बारे में था जिससे अकेले दिल्ली विश्विद्यालय में 4000(चार हजार) से ज्यदा संविदा शिक्षको की नौकरी जाने वाली थी। यह निर्णय UGC वापस ले सकती है तो फिर शोध की संभावनाओ को ख़त्म करने वाले निर्णय को क्यों नहीं वापस ले सकती। विद्यार्थियों में भारी आक्रोश है, वे इस बात को लेकर डटे है कि ugc जब तक अपना यह निर्णय वापस नहीं नहीं लेती है तब तक इसी तरह से देश के सभी विश्वविद्यालयो में विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।
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