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खरी-खरी

श्रीकांत सक्सेना। ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन वर्तमान पाकिस्तान के अधीन एक विशाल राज्य था-कलात। कलात की लगभग सात सौ वर्षों तक ख़ास पहचान रही है। अंग्रेज़ों ने भारत के भविष्य की रूपरेखा तैयार...
Sep 24, 2022

चंद्रभान सिंह भदौरिया। एक कहावत है कि जब रोम जल रहा था तब नीरो चैन की बंशी बजा रहा था ..!! चर्चा है कि झाबुआ के कलेक्टर को CM ने योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी...
Sep 23, 2022

  श्रीकांत सक्सेना। हर स्थान की अपनी तरंगें (vibes) होती हैं। मसलन पूजागृह की तरंगें,रसोईघर की तरंगें, बेडरूम की तरंगें या फिर शौचालय की तरंगें। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली...
Sep 22, 2022

श्रीकांत सक्सेना। तीसरी दुनिया के बहुत से शिक्षासंस्थानों और सत्ता प्रतिष्ठानों को पश्चिम का उगालदान कहा जाता रहा है। जिसे झपटने के लिए दूसरी और तीसरी दुनिया के बुद्धिवादी बरसों से जद्दोजहद करते...
Sep 21, 2022

हेमंत कुमार झा। एक विमर्श आजकल पूरी दुनिया में चल रहा है कि वास्तव में लोकतंत्र चाहिए किसको?   देखा जा रहा है कि अनेक देशों में, जिनमें दक्षिण एशियाई देश भी शामिल...
Sep 19, 2022

श्रीकांत सक्सेना।  इस दुनिया में जितने नशे हैं, उनमें सबसे तीखा है-सत्ता का नशा। जिसकी ख़ुमारी सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े हर शख़्स में देर तक रहती है। आप किसी चपरासी से लेकर...
Sep 16, 2022

राकेश दुबे।                                                                           विरोध करना और सरकार का विरोध करना भारत में आसान नहीं है।   सदैव विरोध में रहे मेरे समाजवादी मित्र रघु ठाकुर ने यह बात बताते हुए सरकार के...
Sep 14, 2022

श्रीकांत सक्सेना। इस सौरमंडल का सबसे ख़ूबसूरत नीला ग्रह अनंत संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद, बहुत थोड़े से लोगों का शानदार एंटीलिया बनकर रह गया है।  ये वे' विजेता' हैं जो...
Sep 13, 2022

राकेश दुबे। हमारे  देश भारत  का कोई मुकाबला नहीं है, एक और दो जून की रोटी  मेहनतकश को मुश्किल से भी मयस्सर नहीं है , वहीं पिछले 5 सालों में कॉर्पोरेट जगत का...
Sep 11, 2022

 श्रीकांत सक्सेना। शासक का सुशिक्षित होना आवश्यक नहीं है। मानव की युगयात्रा में वही शासक अधिक सफल रहे हैं जो प्रायः अशिक्षित थे। शासन दृष्टाओं और मनस्वियों की भूमि नहीं है। भारत...
Sep 11, 2022