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खरी-खरी

श्रीकांत सक्सेना। संविधान निर्माण के समय संविधान सभा ने एक नीति बनाई थी जिसके तहत संविधान सभा को सभी निर्णय सर्वानुमति से लेने की बाध्यता थी। यदि किसी विषय पर सबकी राय एक...
Oct 07, 2022

श्रीकांत सक्सेना। शराब ने सदियों से ख़ानाखराब कर रखा है,  आज़ादी के पचहत्तर साल बाद भी इसका नशा दिनोंदिन चढ़ता ही जा रहा है। गुजरात में सरकार को जो चढ़ी सो आज तक...
Oct 04, 2022

श्रीकांत सक्सेना। हिंदुस्तान के पास युवा आबादी एक डिवीडेंड चैक़ है। सरकार के पास विकल्प है कि वह इस चैक को भुना ले। जानकार बता रहे हैं कि इस चैक की वैधता बहुत...
Oct 01, 2022

हेमंत कुमार झा। यूं तो इस खबर में कोई नई बात नहीं है। अक्सर ऐसी खबरें अखबारों में छपती हैं और भारतीय मध्यम वर्ग के वैचारिक खोखलेपन और सैद्धांतिक सन्नाटे को एक्सपोज कर...
Sep 26, 2022

श्रीकांत सक्सेना। ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन वर्तमान पाकिस्तान के अधीन एक विशाल राज्य था-कलात। कलात की लगभग सात सौ वर्षों तक ख़ास पहचान रही है। अंग्रेज़ों ने भारत के भविष्य की रूपरेखा तैयार...
Sep 24, 2022

चंद्रभान सिंह भदौरिया। एक कहावत है कि जब रोम जल रहा था तब नीरो चैन की बंशी बजा रहा था ..!! चर्चा है कि झाबुआ के कलेक्टर को CM ने योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी...
Sep 23, 2022

  श्रीकांत सक्सेना। हर स्थान की अपनी तरंगें (vibes) होती हैं। मसलन पूजागृह की तरंगें,रसोईघर की तरंगें, बेडरूम की तरंगें या फिर शौचालय की तरंगें। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली...
Sep 22, 2022

श्रीकांत सक्सेना। तीसरी दुनिया के बहुत से शिक्षासंस्थानों और सत्ता प्रतिष्ठानों को पश्चिम का उगालदान कहा जाता रहा है। जिसे झपटने के लिए दूसरी और तीसरी दुनिया के बुद्धिवादी बरसों से जद्दोजहद करते...
Sep 21, 2022

हेमंत कुमार झा। एक विमर्श आजकल पूरी दुनिया में चल रहा है कि वास्तव में लोकतंत्र चाहिए किसको?   देखा जा रहा है कि अनेक देशों में, जिनमें दक्षिण एशियाई देश भी शामिल...
Sep 19, 2022

श्रीकांत सक्सेना।  इस दुनिया में जितने नशे हैं, उनमें सबसे तीखा है-सत्ता का नशा। जिसकी ख़ुमारी सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े हर शख़्स में देर तक रहती है। आप किसी चपरासी से लेकर...
Sep 16, 2022