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वीथिका

ऋचा अनुरागी। अनुरागियों की बातें, अनुरागियों से पूछोउनकी ख़बर तुम्हारा अख़बार नहीं लाता। एक दौर हुआ करता था जब देश में पत्रकार, लेखक, साहित्यकार सही मायने में समाज का चौथा स्तम्भ हुआ करते थे। समाज...
Dec 21, 2016

ऋचा अनुरागी। आज आठ बरस बीत गये, पापा को आसमानी हुये। अनंत में विलीन सुनहरे विराट पंखों वाले पापा। अब वे दिखते नहीं...
Dec 12, 2016

ऋचा अनुरागी। अब हमारा घर वीरों का घर था। अक्सर कोई न कोई सैनिक छुट्टियों में पापा से मिलने आते रहते। उस समय खतो-खिताबत भी खूब होती थी। पापा रोज ही...
Dec 06, 2016

ऋचा अनुरागी। मैं बात कर रही थी पापा के दोस्त प्रभु श्रीवास्तव की जिन्दादिली की जीती जागती मिसाल। इस बार जब...
Nov 22, 2016

पीयूष बबेले। नेहरू जी की यह वर्षगांठ ऐसे समय में आई है, जब...
Nov 14, 2016

डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी। ‘ सेलेब्रेटिंग कैंसर’ सीरिज के तहत विभा रानी का कविता संग्रह समरथ प्रकाशित किया गया है। प्रकाशक भी अवितोको रूम थिएटर की अवधारणा प्रस्तुत करने वाला अवितोको है। अवितोको का मतलब है अजय...
Oct 07, 2016

प्रसून लतांत। बिहार में जिस चंपारण की धरती पर महात्मा गांधी ने किसानों को जुल्मी फिरंगियों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए सफल सत्याग्रह कर...
Oct 06, 2016

ऋचा अनुरागी।   ये कैसा संन्यासी रे बाबा ये कैसा संन्यासी रे बाबा! छोटे घर को छोड़ बन गया बड़े...
Oct 04, 2016

दोपदी सिंघार की कविताएँ नायाब हैं और स्त्री, आदिवासी समाज और आदिवासी समाज की स्त्री के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। द्रोपदी की 12 कविताओं की श्रंखला में रोज एक कविता मल्हार मीडिया पर...
Oct 02, 2016

विधुलता। पुरखों के हजारों मकान आज जो खण्डहर में तब्दील हो चुके हैं और उनका नाम लेने वाला आज कोई नहीं। बड़े शहरों की छोटी बड़ी कॉलोनियों में ऐसे हजारों मकान मिल जायेंगे जिनके मालिक...
Sep 30, 2016