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खरी-खरी

पुण्य प्रसून बाजपेयी। फिलहाल सबसे बड़ी चुनौति इकानामी की है और बिगड़ी इकनॉमी को कैसे नये आयाम दिये जायें जिससे राजनीतिक लाभ भी मिले अब नजर इसी बात पर है। एक तरफ नीति आयोग...
Sep 22, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी। एक तरफ हनीप्रीत का जादू तो दूसरी तरफ मोदी सरकार की चकाचौंध। एक तरफ बिना जानकारी किस्सागोई, दूसरी तरफ सारे तथ्यो की मौजूदगी में खामोशी। एक तरफ हनीप्रीत को कटघरे तक...
Sep 19, 2017

आशीष सागर। तस्वीर में कौन है ये नाम बतलाने की आवश्यकता नहीं है....सामाजिक मुद्दों पर जो भी थोड़ी बहुत ग्लोबल / भारतीय जानकारी रखता होगा इस .....फुटपाथी समूह में बैठे नीली टी शर्ट के...
Sep 16, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।रोजगार ना होने का संकट या बेरोजगारी की त्रासदी से जूझते देश का असल संकट ये भी है कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने स्वीकृत पदों पर भी नियुक्तियां नहीं की है।...
Sep 15, 2017

अनिल कुमार पाण्डेय।हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा”... ये पंक्तियां प्रसिद्ध साहित्यकार अल्लामा इक़बाल की उर्दू में लिखी गई ख़्यातनाम गज़ल “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” की है जो आजादी के समर के...
Sep 14, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।तो सुप्रीम कोर्ट को ही तय करना है कि देश कैसे चले, क्योंकि चुनी हुई सरकारों ने हर जिम्मेदारी से खुद को मुक्त कर लिया है। तो फिर शिक्षा भी बिजनेस है।...
Sep 12, 2017

राघवेंद्र सिंह।मध्यप्रदेश की राजनीति खासतौर से भाजपा में इन दिनों अजीब सा दौर है। तूफानी हलचल कहें या तूफान के आने के पहले की खामोशी। किसी के समझ में कुछ ज्यादा नहीं आ रहा...
Aug 20, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।14-15 अगस्त 1947, दुनिया के इतिहास में एक ऐसा वक्त जब सबसे ज्यादा लोगों ने एक साथ सीमा पार की, एक साथ शरणार्थी होने की त्रासदी को झेला, एक साथ मौत देखी...
Aug 16, 2017

मनोज कुमार।हर बार की तरह एक बार फिर हम स्वाधीनता पर्व मनाने जा रहे हैं। हर बार की तरह हम सबकी जुबान पर शिकायत होगी कि आजादी के 70 सालों के बाद भी हम...
Aug 15, 2017

राघवेंद्र सिंह।भारत गांवों का देश है और देहात में एक कहावत आम है जननी जने तो भक्तजन, के दाता के शूर, नहीं तो काहे गंवावत नूर अर्थात माता यदि पुत्र पैदा करे तो वह...
Aug 14, 2017