श्याम त्यागी।24 मार्च, 1931 के दिन या भगत सिंह को फांसी दिए जाने की अगली सुबह गांधी जैसे ही कराची (आज का पाकिस्तान) के पास मालीर स्टेशन पर पहुंचे, तो लाल कुर्तीधारी नौजवान भारत सभा...
श्याम त्यागी।भगत सिंह और गांधी दोनों के रास्ते अलग थे लेकिन इरादा सिर्फ एक था, भारत की आज़ादी। देशवासियों पर जिस तरह का शोषण हो रहा था उस शोषण से लोगों को मुक्ति दिलाना। आज़ादी...
प्रकाश भटनागर।यह श्रद्धांजलि और इसमें जुड़े तारीफ वाले शब्द इसलिए नहीं कि किसी का निधन हो गया है। ऐसा इसलिए कि निधन बाबूलाल गौर का हुआ है।
दिवंगतों के सम्मान में लिखना तथा बोलना...
तरूण व्यास।
हिमांशु बाजपई की दास्तानगोई की तारीफ़ें ही सुनी थी और थोड़ा बहुत यूट्यूब पर देखा था। शनिवार की शाम इंदौर के आनंद मोहन माथुर सभागृह में हिमांशु भाई की दास्तानगोई को लाइव सुनने...
संजय स्वतंत्र।किसी जमाने में घर की चक्की उदास रहती थी। अब रसोई ऊंघती रहती है। न कोई मसाला कूटता है, न कोई चटनी बनाने का जतन करता है। अब झटपट का जमाना है। इसलिए...
विजयदत्त श्रीधर।
उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच विभक्त बुन्देलखण्ड का इकजाई स्वरूप जब भारत के नक्शे में निहारते हैं, तब ऐसा प्रतीत होता है, जैसे राष्ट्र की नस-नाड़ियों को पुष्ट करता हुआ, हृदय धड़क...
अभिषेक शर्मा। मेरी ही तरह और हम उम्र वो लोग जिनकी बचपन की तस्वीरें ब्लैक और व्हाईट खींची गयी होंगी वो जानते होंगे कि यह जनरेशन वाकई कई बदलावों से गुजरी है।...
राजेश चंद्र।कर्नाटक के प्रमुख रंगकर्मी, कवि और नाटककार एस. रघुनन्दन ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार को ठुकरा दिया है। एक दिन पहले ही उन्हें यह पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गयी थी।
एस.रघुनंदन ने...
राकेश दीवान।अखबारों में लगातार लिखते रहने के अलावा भी पत्रकारिता होती है, इसे अपने कामकाज से बार-बार साबित करते रहने वालों की पीढ़ी के एक और स्तंभ जवाहरलाल राठौर गुजर गए।
50 के दशक...
संजय स्वतंत्र।अपराजिता जैसी ज्यादा उम्र की युवतियां शादी न कर के भी कितनी खुश हैं। वे अपने जीवन के फैसले खुद करती हैं। बूढ़े हो चले मां-बाप का ख्याल रखती हैं। सबसे बड़ी बात...