वीरेंदर भाटिया।आप कहेंगे यह कैसा शीर्षक है। मैत्रयी पुष्पा मैत्रयी पुष्पा ही तो होंगी। दरअसल मैत्रयी पुष्पा वह जो उपन्यासकार हैं। देश के शीर्ष साहित्यकारों में उनका नाम शुमार है। लाखों लोगों ने...
कमलेश पारे।विश्व भर में सिनेमा के पर्दे पर हास्य और व्यंग्य की पहचान बने रहे चार्ली चैपलिन भी 25 दिसम्बर (1977) को ही संसार से विदा हुए थे।चार्ली चैपलिन ने अपनी वृद्धावस्था में अपनी नृत्यांगना...
अमन आकाश।मैं बिजनेसमैन बनना चाहता हूँ मतीन साहब। अपने पसंद की हर चीज़ खरीदना चाहता हूँ। दोस्ती, वफादारी, मुहब्बत सब बिकते हैं, सब खरीदूंगा।"नम आंखें, भारी गला, टूटे हुए दिल से एक शख्स किसी से...
श्रीकांत सक्सेना।
काशी ज़िंदा नगरी है। आध्यात्मिक शब्दावली में कहें तो जाग्रत शहर। काशीवासी मानते हैं कि काशी दुनिया का सबसे पुराना शहर है। पुरातत्वविद भी यह मान लेते हैं कि काशी दुनिया के सबसे...
विजयदत्त श्रीधर।16 दिसंबर 1971 को भारत की शूरवीर सेना के सामने पाकिस्तान की अत्याचारी फौज ने हथियार डाले। यह दूसरे महायुद्ध के बाद किसी फौज का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। इस परिघटना ने...
ओशो
जिसको तुम जन्म-दिन कहते हो, वह जन्म-दिन थोड़े ही है; मौत और करीब आ गई! उसको जन्म-दिन कह रहे हो!
लोग जन्म-दिन मनाते हैं! लेकिन मौत करीब आ रही है। एक साल और...
राकेश कायस्थ।
अस्सी के दशक के आखिरी साल थे। बहुत लंबे हाँ-ना के बाद हमारे यहां टीवी लाया गया था। लेकिन जल्द ही पिताजी ने महसूस किया कि टीवी देखने की...
राकेश दीवान।‘भाईजी’ यानि सलेम नानजुंदैया सुब्बराव यानि एसएन सुब्बराव को याद करूं तो करीब पचास साल पहले, विनोबा की मौजूदगी में अल-सुबह सुना कबीर का ‘झीनी रे चदरिया’ भजन याद आता है।
उन दिनों (1974...
हेमंत कुमार झा।बचपन में एक बार यह जान कर मैं अचंभित रह गया था कि ब्राह्मणों की कोई एक उपजाति होती है जिसका काम है आयुर्वेद पढ़ना और वैद्य बन कर लोगों का इलाज...
संजय स्वतंत्र।श्रीकृष्ण को जब भी याद कीजिए राधा जी दौड़ी-दौड़ी चली आएंगी। दोनों के बीच आज भी गहरा प्रेम है। यह शाश्वत है। हम कृष्ण से पहले राधा का ही नाम लेते हैं।...