राकेश कायस्थ।सबसे पहले यह मान लेते हैं कि सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना गंगाजल के धुले हैं। अस्थाना जी उतने ही ईमानदार हैं, जितने उनकी खोज करने वाले इतिहास पुरुष नरेंद्र मोदी। यह...
राकेश कायस्थ।झँगरू एक अत्यंत परिश्रमी चोर था। उठाईगीरी हो या सेंधमारी किसी काम को छोटा नहीं समझता था। अपना हर काम पूरी निष्ठा से करता था। रोज नंगे बदन पर तेल चुपड़कर और भगवान...
संजय स्वतंत्र।ऋतु बदलने के साथ प्रकृति मुस्कुराती है। उसने हमें जीवन के हर मोड़ पर बढ़ना सिखाया है। हर संघर्ष के साथ हम जीना तो सीख गए, मगर मुस्कुराना भूल गए। खुशियों का पैमाना...
संजय स्वतंत्र।इन दिनों अफसानानिगार सआदत हसन मंटो को फिर से पढ़ रहा हूं। कभी सुबह तो कभी रात या फिर मेट्रो में सफर के दौरान पढ़ता हूं, तो लगता है कि मंटो मरे कहां...
डॉ.राम विद्रोही। एक नवम्बर 1956 को चार राज्यों के विलय से अस्तित्व में आए मध्यप्रदेश की करीब आधी सदी की यात्रा राजनीतिक रूप से काफी उथल पुथल भरी और संघर्ष पूर्ण रही है। प्रदेश...
खंडवा से संजय चौबे। सेवफल की बात करते ही कश्मीर और हिमाचल के बाग जेहन में आ जाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर में भी सेवफल लगाया गया है। सेवफल अमूमन ठंडे...
राम श्रीवास्तव।एक बहुत वरिष्ठ सेवा निवृत आई ए एस अफसर हैं, उन्हें पुस्तक पढ़ने का बहुत बड़ा कीड़ा है पर किताबें खरीद कर नहीं पढ़ते। वह सज्जन जब प्रमुख सचिव थे तो सरकारी कालेजों और...
वीरेंदर भाटिया।शीर्षक पढ़कर चौंक गए? बेहुदा है ना शीर्षक। जिंदगी इससे भी बेहुदा है जनाब। इसलिए चौंकिए नही, पढिये और गुनिये।
जिस शख्स का चित्र मैंने लगाया है वे मेरे संसदीय क्षेत्र से दो...
खंडवा से संजय चौबे।
जिला मुख्यालय खण्डवा से 95 किमी दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पड़ा है जयंती माता का दरबार। यहाँ माता के दर्शन के साथ साथ दर्शनार्थियों को प्रकृति...
राकेश कायस्थ।उन दिनों पत्रिकाएं चाहे जितनी भी पुरानी हो जायें संजोकर रखी जाती थी। घर में कई पत्रिकाएं आती थीं लेकिन मेरे मतलब की पत्रिका सिर्फ धर्मयुग हुआ करती थी, क्योंकि उसमें ढब्बूजी के...