खरी-खरी

राजीव यादव।ये धर्म है, शब्द है या फिर संस्कृति। जो भी हो, इनसे मेरा वास्ता तकरीबन दस साल का है। अजान के बारे में पहली बार अप्रैल 2008 में तब मालूम चला जब मड़ियाहूं के...
Jun 26, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का / हुकुम शहर कोतवाल का... / हर खास-ओ-आम को आगह किया जाता है / कि खबरदार रहें / और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से / कुंडी...
Jun 23, 2017

राघवेंद्र सिंह।मध्यप्रदेश के सियासी सीन में जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है। साढ़े तेरह बरस की भाजपा सरकार और उसका संगठन अब तक के सर्वाधिक दबाव में है। किसान आंदोलन में सात की...
Jun 19, 2017

संजय द्विवेदी।शायद यही राजनीति की नरेंद्र मोदी शैली है। राष्ट्रपति पद के लिए अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले श्री रामनाथ कोविंद का चयन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर बता दिया है कि...
Jun 19, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।मोदी के सामने कोई नेता नहीं टिकता, लेकिन देश में कोई मुद्दा बड़ा हो जाये तो क्या मोदी का जादू गायब हो जायेगा? ये सवाल इसलिये क्योंकि इंदिरा गांधी के दौर को...
Jun 15, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।बीते 25 बरस का सच तो यही है कि देश में सत्ता किसी की रही हो लेकिन किसान की खुदकुशी रुकी नहीं। हर सत्ता के खिलाफ किसान का मुद्दा ही सबसे बड़ा...
Jun 09, 2017

डॉ. रजनीश जैन।किसान के सब्र की प्रत्यंचा को सरकार ने तोड़ा है। उसे परिवर्तन का सबसे बड़ा विक्टिम बनाया गया है असहाय और निरीह मानकर। सोच यह कि उसके साथ कुछ भी करो किसान...
Jun 08, 2017

अरूण दीक्षित।बहुत उपदेश और ज्ञान बंट रहा है इस समय मध्यप्रदेश में!हर कोई किसानों को उपदेश दे रहा है। कुछ बीजेपी के नेता तो कांग्रेस की आड़ लेकर गालियां तक बक रहे...
Jun 08, 2017

डॉ. राकेश पाठक।कान खोल कर सुन लीजिये..किसानों की मौत पर कोई राजनीति नहीं करेगा..सब अपने अपने घर जाओ..सत्तू घोर के पियो और टीवी देखो.. "भले और भोले लोग" बहुत दुखी हैं कि किसानों की...
Jun 06, 2017

राघवेंद्र सिंह।जो मर कर भी उन्हें जिंदा रखता है जो हर घड़ी उसे मारने की जुगत में रहते हैं... उद्योग और नोकरशाही के लिए खजाना खोला जाता है और किसान को दिन-रात की मेहनत के...
Jun 06, 2017