खरी-खरी

संजय द्विवेदी।भारतीय राजनीति में भाषा की ऐसी गिरावट शायद पहले कभी नहीं देखी गयी। ऊपर से नीचे तक सड़कछाप भाषा ने अपनी बड़ी जगह बना ली है। ये ऐसा समय है जब शब्द सहमे हुए...
Feb 20, 2017

  पुण्य प्रसून बाजपेयी।54 बरस में भारत कहां से कहां पहुंच गया। 1963 में पहली बार इसरो को साइकिल के कैरियर में राकेट बांधकर नारियल के पेडो के बीच थुबा लांचिग स्टेशन पहुंचना...
Feb 18, 2017

सागर से डॉ. रजनीश जैन।सीखो,...होगा। करने से होगा। देखो मैं भी नहीं जानता था। लेकिन सीखना पड़ा। तुम लोगों को पाँच साल मिलते हैं। पहला साल तो जमावट में निकल जाता है।...
Feb 16, 2017

ऋतुपर्ण दवे।आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का मंगलवार को आया फैसला बेहद अहम है। खासकर भृष्टाचार के दलदल में गोते लगाने वाले नेताओं को जहां ये गले की फांस लग...
Feb 14, 2017

 डॉ राकेश पाठक। सबसे पहले तो यह नोट कीजिये कि चंद लोगों के जासूसी में धरे जाने से कोई धर्म, संगठन, संस्था या दल और उससे सम्बद्ध सभी लोग "देशद्रोही" नहीं...
Feb 13, 2017

 शैलेष तिवारी।कभी संगठन में व्यक्ति हुआ करता था। जमाना बदला तो चाल चलन चरित्र भी बदलाव की बयार में बहने लगा। व्यक्ति अब पार्टी बन गए हैं। तानाशाही अंदाज में अब सत्ता और संगठन...
Feb 11, 2017

पुण्य प्रसून बाजपेयी।रेनकोट तो हर किसी ने पहना है क्या नेहरु, क्या इंदिरा, क्या राजीव गांधी, और क्या पीवी नरसिंह राव या फिर क्या वाजपेयी या क्या मनमोहन सिंह। हां किसी का रेनकोट खासा...
Feb 09, 2017

डॉ.वेदप्रताप वैदिक।इस बार बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार करने की कोशिश की है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? हमारे नेताओं और...
Feb 08, 2017

राघवेंद्र सिंह।भोपाल। हम आज किस्सा शुरू कर रहे हैं अपने जमाने की मशहूर फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के। मदर इंडिया फेम सुनील दत्त इसके हीरो थे। ये फिल्म एक सच्ची कहानी नेवी के...
Feb 07, 2017

ममता यादव। फानी दुनियां में हमेशा रहना किसे है जाना एक दिन सभी को है। ये इस दुनियां का कड़वा सच है। इस दुनियां का रवैया यही है जब आप जिंदा होते हैं तो पूछ—परख...
Feb 06, 2017