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खरी-खरी

हेमंत पाल। भीड़ का कोई चरित्र नहीं होता और न कोई मर्यादा। इसी भीड़ का बदला चेहरा है सडकों पर निकलने वाली रैलियाँ। कभी ये रैलियाँ राजनीतिक होती है, कभी धार्मिक तो कभी सामाजिक। इंदौर...
Dec 30, 2016

ऋतुपर्ण दवे।काला धन, राजनैतिक रसूख, डिजिटल लेन-देन और अपने ही सीमित पैसों के लिए कतार में छटपटाता 90 फीसदी बैंक खाताधारी आम भारतीय। शायद यही भारत की राजनीति का एक नया रंग है जो नोटबंदी...
Dec 29, 2016

रवीश कुमार।नए साल को लेकर इतनी गुदगुदी और घबराहट कभी नहीं हुई थी। मफलरमैन की तरह यह साल आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि जैसे महबूब चौक तक आ गया है। सहेलियां छत...
Dec 28, 2016

वीरेंद्र भाटिया।देश की अर्थव्यवस्था को कोई थोड़ा सा भी अगर समझता है तो वह झट से बता देगा कि इस मुल्क की पहली समस्या क्या है। निश्चित रूप से काला धन 2009 के चुनाव तक...
Dec 28, 2016

संजय द्विवेदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखकर अनेक राजनीतिक टिप्पणीकारों को इंदिरा गांधी की याद आने लगी है। कारण यह है कि भाजपा जैसे दल में भी उन्होंने जो करिश्मा किया है, वह असाधारण है।...
Dec 25, 2016

  पुण्य प्रसून बाजपेयी।सत्ता में आने से पहले राजनीतिक लूट का जिक्र मोदी करते थे। और सत्ता जाने के बाद सियासत की आर्थिक लूट का जिक्र राहुल गांधी कर रहे हैं। तो आईये जरा...
Dec 24, 2016

पुण्य प्रसून बाजपेयी।हफ्ते भर पहले ही चुनाव आयोग ने देश में रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों की सूचीजारी की। जिसमें 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दल और 58 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का जिक्र है। लेकिन महत्वपूर्ण वो सूची है,...
Dec 22, 2016

मनोज कुमार। मीठे पानी की तरह अनुपम। अपने नाम को सार्थकता प्रदान करते हुए अनुपम ने 68 वर्ष की जिंदगी में सुप्त और लुप्त होते समाज में पानी के प्रति चेतना...
Dec 21, 2016

राघवेंद्र सिंह।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी, देश आप पर आंख मूंदकर विश्वास करता है। इसलिये असफलता की तरफ जा रही नोटबंदी के बावजूद लोग सड़क पर...
Dec 21, 2016

पुण्य प्रसून बाजपेयी।सवाल ना तो किसी चौराहे का है ना ही पीएम के वचन का। सवाल है कि आखिर 30 दिसंबर के बाद देश के सामने रास्ता होगा क्या? क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर जादू की छड़ी से...
Dec 21, 2016