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Mon, 14 July 2025

खरी-खरी

भरतचन्द्र नायक। इतिहास और परंपराओं में जीवन का सत्व छिपा होता है, यह सबक की चीज है। इसमें लोकनायक के नायकत्व का स्थान आचार, विचार, व्यवहार भविष्य के लिए सीख देता है। लेकिन जब लोकनायक...
Jan 07, 2017

मल्हार मीडिया डेस्क एक कहावत है, मुफ्त का चंदन घिस बेटा नंदन। एक और कहावत है माले मुफ्त दिले बेरहम। दोनों कहावतें सोमवार को रायपुर के धरना स्थल बूढ़ापारा में सजीव हो उठी। बूढ़ापारा धरना...
Jan 04, 2017

रवीश कुमार।कांग्रेस पार्टी ने निर्भया कांड से कुछ सीखा है तो कर्नाटक के गृहमंत्री को पद से हटा देना चाहिए। बंगलुरू में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर लड़कियों के साथ भीड़ ने छेड़खानी की...
Jan 03, 2017

संजय द्विवेदी। हिंदुस्तान के दो बड़े नोटों को बंद कर केंद्र सरकार और उसके मुखिया ने यह तो साबित किया ही है कि ‘सरकार क्या कर सकती है।’ इस फैसले के लाभ या हानि का...
Jan 01, 2017

सुरोजीत मजूमदार।प्रधानमंत्री ने 50 दिन या 30 दिसंबर की बात की थी इसलिए आज इसके नफा-नुकसान के आकलन की रस्म अदायगी हो रही है। लेकिन आज जो तथ्य सामने हैं वह आठ नवंबर की शाम...
Dec 31, 2016

राकेश अचल।हिंदुस्तान की सियासत में मुगलिया तेवर अब उभर कर सामने आने लगे हैं। बीते दो दिन में अरुणाचल और उत्तर प्रदेश में जो कुछ हुआ उसे देखकर लगता है कि सत्ता पाने के लिए...
Dec 30, 2016

हेमंत पाल। भीड़ का कोई चरित्र नहीं होता और न कोई मर्यादा। इसी भीड़ का बदला चेहरा है सडकों पर निकलने वाली रैलियाँ। कभी ये रैलियाँ राजनीतिक होती है, कभी धार्मिक तो कभी सामाजिक। इंदौर...
Dec 30, 2016

ऋतुपर्ण दवे।काला धन, राजनैतिक रसूख, डिजिटल लेन-देन और अपने ही सीमित पैसों के लिए कतार में छटपटाता 90 फीसदी बैंक खाताधारी आम भारतीय। शायद यही भारत की राजनीति का एक नया रंग है जो नोटबंदी...
Dec 29, 2016

रवीश कुमार।नए साल को लेकर इतनी गुदगुदी और घबराहट कभी नहीं हुई थी। मफलरमैन की तरह यह साल आ रहा है। ऐसा लग रहा है कि जैसे महबूब चौक तक आ गया है। सहेलियां छत...
Dec 28, 2016

वीरेंद्र भाटिया।देश की अर्थव्यवस्था को कोई थोड़ा सा भी अगर समझता है तो वह झट से बता देगा कि इस मुल्क की पहली समस्या क्या है। निश्चित रूप से काला धन 2009 के चुनाव तक...
Dec 28, 2016