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वीथिका

ऋचा अनुरागी।   माता सहज साँवरी माटी बाबुल बिरछ लगाये वीरन ममता पानी सीचें रस अगवा गहराये                                                            अब...
Jul 26, 2016

विनीत खरे। दलितों के साथ रहने वाले ग़ैर-दलित छात्र जब वापस घर लौटते हैं तो उनके मां-बाप शुद्धिकरण के लिए क्या तरीके अपनाएंगे? ढाई साल पहले गुजरात पुलिस से रिटायर्ड दलित आईपीएस अफ़सर राजन प्रियदर्शी...
Jul 25, 2016

ऋतुपर्ण दवे। बहुत हैरानी होती है ये सुन, जानकर लेकिन ऐसा भारत में ही हो सकता है जहां विविधता में एकता की ये मिसाल...
Jul 25, 2016

ऋचा अनुरागी। ओ,मेरे नादान पड़ोसी मैंने तो सोचा था, मेहँदी की बागुड़ होगी और पुरा-भर की हथेलियों...
Jul 19, 2016

ऋचा अनुरागी। मैं अनेकों बार भावुक हो,सोचने लगती हूँ, मैं हिन्दू हूँ, जैन हूँ, मैं धार्मिक हूँ, नास्तिक तो नहीं।सर पकड़कर बैठ...
Jul 12, 2016

ऋचा अनुरागी। प्यार की खुशबू वहाँ आती थी गलियों से हो-के आई है हवा भी उनकी गलियों से । प्रज्ञा शुक्रिया! जो...
Jul 05, 2016

ऋचा अनुरागी। हमारा घर और उसका आँगन खुश्बूओं से पहचाना जाता था। रसोई घर की सौंधी महक ,बगीचे के हर मौसम में बदलती खुशबू...
Jun 28, 2016

मल्हार मीडिया। ब्यूरो। वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गीत है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने की थी। अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और वरिष्ठ साहित्यकार मदनलाल वर्मा क्रांत ने वंदे हिन्दी में...
Jun 27, 2016

ऋचा अनुरागी। अचानक से लगा कि कुछ बहुत गड़बड़ हो गई है ,देर रात दुष्यंत अंकल का घर पर आना अक्सर ही होता...
Jun 21, 2016

सोमदत्त शास्त्री। फिर वही घडियाली आंसू! नमन -श्रधांजलि इत्यादि..पर कोई बता सकता है रानी झाँसी के वंशज आखिर कहाँ हैं! राष्ट्रप्रेम की बड़ी- बड़ी...
Jun 17, 2016